मुख्यमंत्री ने डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर
डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) चिकित्सालय परिसर में स्थापित
उनकी प्रतिमा के सम्मुख चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की

डाॅ0 मुखर्जी भारत के महान सपूत, प्रख्यात स्वतंत्रता
सेनानी, शिक्षाविद, अखण्ड भारत के स्वप्नदृष्टा: मुख्यमंत्री

डाॅ0 मुखर्जी ने देश की अखण्डता के लिए ‘एक देश में एक प्रधान, एक
विधान व एक निशान’ मुद्दे को लेकर 23 जून, 1953 को अपना बलिदान दिया

प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में कश्मीर से धारा 370 को समाप्त करने का कार्य, कश्मीर के लिए, 
देश की अखण्डता के लिए और देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए अपने आपको बलिदान करने वाले सभी हुतात्माओं के प्रति एक श्रद्धांजलि
 
 लखनऊ: 23 जून, 2024


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर आज यहां डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) चिकित्सालय परिसर में स्थापित उनकी प्रतिमा के सम्मुख चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की।
    मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत के महान सपूत, प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद, अखण्ड भारत के स्वप्नदृष्टा डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी का आज पावन बलिदान दिवस है। डाॅ0 मुखर्जी ने देश की अखण्डता के लिए ‘एक देश में एक प्रधान, एक विधान व एक निशान’ मुद्दे को लेकर 23 जून, 1953 को अपना बलिदान दिया था।  
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 1947 में देश स्वतंत्र हुआ। वर्ष 1950 में देश में संविधान लागू हुआ। संविधान लागू होने के बाद तत्कालीन केन्द्रीय सरकार ने देश के संविधान में धारा 370 को जोड़कर राष्ट्रीय अखण्डता को गम्भीर चोट पहुंचाने का कुत्सित प्रयास किया था। डाॅ0 मुखर्जी तत्कालीन केन्द्रीय सरकार में उद्योग एवं खाद्य मंत्री के रूप में देश की सेवा कर रहे थे। उन्होंने अपने पद से त्याग पत्र देकर देश की प्रतिष्ठा व अखण्डता के लिए कश्मीर मंे धारा 370 को हटाने के लिए एक व्यापक आन्दोलन प्रारम्भ किया। भारतीय जनसंघ के हजारों कार्यकर्ताओं के साथ कश्मीर सत्याग्रह के लिए डाॅ0 मुखर्जी ने जो आन्दोलन प्रारम्भ किया था, इसके लिए उन्हें अपने प्राणों का बलिदान देना पड़ा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि डाॅ0 मुखर्जी का जो सपना था, उस सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने कश्मीर से धारा 370 को समाप्त करके, ‘एक देश में एक प्रधान, एक विधान व एक निशान’ की भावनाओं का सम्मान करने का जो कार्य किया, वह कश्मीर के लिए, देश की अखण्डता के लिए और देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए अपने आपको बलिदान करने वाले सभी हुतात्माओं के प्रति एक श्रद्धांजलि है।  
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