मुगल शासन काल से पौराणिक महत्व संजोए हुए दुखहरण नाथ मंदिर का शिवलिंग आज भी लोगों की आस्था व श्रद्धा का बना केंद्र

उतरौला बलरामपुर मुगल शासन काल से पौराणिक महत्व संजोए हुए दुखहरण नाथ मंदिर का शिवलिंग आज भी लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है मोहल्ला आर्य नगर स्थित इस मंदिर का शिवलिंग उत्तर दिशा की तरफ झुका हुआ है इसी स्थान पर एक टीले की खुदाई के दौरान मिट्टी में दबा हुआ मिला  था पूरे शिवलिंग के शीर्ष पर आरे से काटे जाने के निशान आज भी मौजूद है मंदिर के संरक्षक महंत मयंक गिरी ने बताया कि घुमक्कड़ संत जयकरण गिरी को टी ले पर विश्राम के दौरान स्वप्न मैं टीले की खुदाई करने का आदेश मिला था मिट्टी में दबा शिवलिंग बाहर निकालने के  बाद उसकी स्थापना इसी स्थान पर करने का काम शुरू हुआ तत्कालीन मुगल शासक नवाज खा ने स्थापना दौरान मै बाधा उत्पन्न की शिवलिंग को छिन्न-भिन्न करने के लिए उस पर आरा चलाते ही शिवलिंग से रक्त की धारा देख काटने वाले भाग खड़े हुए जब नवाज खान को अपनी गलती का एहसास हुआ तो बाद में शिवलिंग की स्थापना यही की गई मंदिर के उत्तर दक्षिण व पूरब दिशा में 12 और शिवलिंग की स्थापना की प्रत्येक सोमवार को अतिरिक्त महाशिवरात्रि हरतालिका तीज सावण मलमास मैं जलाभिषेक करने वालों की काफी भीड़ रहती है

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