कनाडा के हाथों 6,267 करोड़ रुपये में बिका ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे !
कानपुर/उत्तर प्रदेश। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (Eastern Peripheral Expressway – EPE) को बेच दिया

कनाडा की पेंशन फंड सीडीपीक्यू की सहायक कंपनी मैपल हाइवेज ने इस सड़क को 6,267 करोड़ रुपये में खरीदा है। 2022 में सड़क खरीदने का यह सबसे बड़ा सौदा है। सड़कें बेचकर सरकार ने पैसे कमाने की योजना बनाई है। इसे संपत्ति मुद्रीकरण योजना (asset monetisation programme) नाम दिया गया है। इसी योजना के तहत एनसीआर की यह महत्त्वपूर्ण सड़क 20 साल के लिए बेची गई है।135 किलोमीटर लंबे ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे को कुंडली-गाजियाबाद-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे भी कहा जाता है। केएमपी एक्सप्रेसवे देश के चार सबसे व्यस्त राष्ट्रीय राजमार्गों कुंडली (सोनीपत) के पास एनएच-1, बहादुरगढ़ के पास एनएच-10, मानेसर (गुरुग्राम) में एनएच -8 और पलवल के पास एनएच-2 को जोड़ता है।
यात्रियों के लिए ईपीई पर 7 निकास बिंदु हैं। यह 6 लेन का एक्सप्रेसवे है। जिसकी कुंडली से मानेसर तक लंबाई 83.32 किमी और पलवल से मानेसर तक लंबाई 53 किमी है। छह लेन में 3 फुट चौड़ा धातु बीम युक्त क्रैश बैरियर बनाया गया है। सभी लेन एलईडी और सौर पैनल लाइट फिक्स्चर से सजाए गए हैं। सड़क के दोनों तरफ हर 500 मीटर पर वर्षा जल संचयन के प्रावधान किए गए हैं। हर 10 मीटर की दूरी पर स्मारक,  पत्थर की मूर्तियां, फव्वारे लगाए गए हैं।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की सड़क बेचकर पैसे कमाने यानी संपत्ति मुद्रीकरण की यह 2022 की सबसे बड़ी बिकवाली है। टोल ऑपरेट ट्रांसफर (टीओटी) परियोजना के तहत इसे कनाडा की कंपनी को दिया गया है। समझौते के मुताबिक सीडीपीक्यू इंडिया 20 साल तक इस सड़क से टोल वसूलेगी। इस दौरान सड़क की मरम्मत का काम कंपनी का होगा। 20 साल सड़क से कमाने के बाद कंपनी इसे सरकार को सौंप देगी।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की सड़क बेचकर पैसे कमाने यानी संपत्ति मुद्रीकरण की यह 2022 की सबसे बड़ी बिकवाली है। टोल ऑपरेट ट्रांसफर (टीओटी) परियोजना के तहत इसे कनाडा की कंपनी को दिया गया है। समझौते के मुताबिक सीडीपीक्यू इंडिया 20 साल तक इस सड़क से टोल वसूलेगी। इस दौरान सड़क की मरम्मत का काम कंपनी का होगा। 20 साल सड़क से कमाने के बाद कंपनी इसे सरकार को सौंप देगी।

इस कनाडाई कंपनी ने मैपल हाइवेज ने अब तक 1 अरब डॉलर की भारतीय सड़कें खरीदी हैं, जिनके माध्यम से वह जनता से सड़क पर चलने के लिए पैसे वसूलेगी। कंपनी ने इसके पहले 67 किलोमीटर लंबी टोल रोड जगन्नाथ एक्सप्रेसवे का अधिग्रहण किया था, जो ओडिशा में भुवनेश्वर से चांदीखोल के बीच बनी है।
यह सड़क दिल्ली में सड़क जाम और प्रदूषण से निपटने के लिए बनाई गई थी। इसकी योजना बहुत पुरानी थी और सर्वे, जमीन अधिग्रहण आदि का काम लंबे समय से चल रहा था। दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति भयावह हुई तो इसके काम ने भी जोर पकड़ा। नरेंद्र मोदी सरकार इसे 2018 में बनवाने में कामयाब रही।
इसका उद्घाटन 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इसमें जमीन अधिग्रहण से लेकर निर्माण तक में 10,800 करोड़ रुपये का खर्च आया था, जिसे 6,267 करोड़ रुपये में बेचा गया है। मैपल के अधिग्रहण के पहले ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर हर साल टोल वसूली के लिए कंपनी का ठेका बदल जाता था और वह कंपनी केवल टोल वसूली तक ही सीमित रहती थी। इसकी मरम्मत की जिम्मेदारी एनएचएआई की होती थी। कंपनी ने 6267 करोड़ रुपये एकमुश्त जमा कर उसे 20 साल के लिए खरीद लिया है।

इस तरह की सड़क खरीदने वाली कंपनियां पहले यह देखती हैं कि सरकार की बनवाई उस सड़क पर ट्रैफिक की कितनी आवाजाही है। जब पर्याप्त संख्या में लोग उस सड़क से आने जाने लगते हैं और टोल से मोटी कमाई की उम्मीद होती है तो कंपनियां उस सड़क को खरीद लेती हैं। उनका काम टोल वसूलना और उनका रखरखाव करना होता है।  कितना टोल वसूलना है, वह सड़क खरीदने वाली कंपनी ही तय करती है।

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