UNGA: चीन-पाक से लेकर अमेरिका तक, जयशंकर ने UNGA में दुनिया को दिखाया आइना; जानें क्यों हो रही भारत की तारीफ


 संयुक्त राष्ट्र महासभा का 77वां सत्र चर्चा का विषय बना हुआ है। भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर इस सत्र को संबोधित कर रहे हैं।

उन्होंने जिस तरह से आंतकवाद से लेकर वैश्विक सुधारों पर दुनिया को घेरा है, उसने कई देशों की बोलती बंद कर दी है।

आलम यह है कि कई विकसित और विकासशील देश संयुक्त राष्ट्र में भारत के रुख, उसकी आर्थिक और विदेश नीति की तारीफ करने से नहीं थक रहे हैं। यहां तक कि यूएन प्रमुख एंटोनियो गुटेरस ने भी भारत की अहम भूमिका को स्वीकार किया है। दरअसल, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र में आतंकवाद, चीन-पाक से लेकर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र सुधारों तक के मुद्दे पर अपने बयानों से दुनिया को आइना दिखा दिया है। आइए जानते हैं हर मुद्दे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्या कहा...

अमेरिका को लगाई लताड़

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एफ-16 लड़ाकू विमानों के लिए पाकिस्तान को अमेरिका द्वारा 45 करोड़ डॉलर के पैकेज की मंजूरी के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, अमेरिका-पाक संबंधों को लेकर दोनों में से किसी देश को 'कोई फायदा नहीं' हुआ है। उन्होंने पाकिस्तान को पैकेज देने पर अमेरिका द्वारा दी गई सफाई को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि आप ऐसी बातों से किसी को बेवकूफ नहीं बना सकते। जयशंकर ने भारतीय-अमेरिकियों के साथ एक संवाद के दौरान एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ईमानदारी से कहूं, तो इस संबंध से न तो पाक को कोई लाभ हुआ है और न ही इससे अमेरिकी हितों को पूरा करने में मदद मिली है। इसलिए अब अमेरिका को यह सोचना चाहिए कि इस संबंध का फायदा क्या है और इससे उन्हें क्या मिल रहा है। अमेरिका ने पाक को पैकेज पर तर्क दिया था कि आतंक से मुकाबले के लिए एफ-16 के रख-रखाव के वास्ते पैकेज को मंजूरी दी गई है। जयशंकर ने इस अमेरिकी तर्क का जिक्र करते हुए कहा कि हर कोई जानता है कि एफ-16 का कहां और किसके खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा, आप इस प्रकार की बातें कहकर किसी को मूर्ख नहीं बना सकते।

चीन-पाक पर क्या बोले?

एस. जयशंकर ने चीन व पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा, जो लोग सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों का राजनीतिकरण कर आतंकवादियों को बचा रहे, वे अपने जोखिम पर ऐसा कर रहे। जयशंकर ने कहा, न वे अपने हित आगे बढ़ा रहे हैं, न छवि बेहतर कर रहे हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से आतंकवाद के प्रायोजक देशों व उन्हें बचाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। चीन ने हाल ही में 26/11 हमले में शामिल आतंकी पर अमेरिकी प्रस्ताव को पिछले दिनों रोक दिया था।

आतंकवाद पर दुनिया को लताड़ा

विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा, भारत सीमा पार आतंकवाद से पीड़ित रहा है। हम आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से आतंकवाद के प्रायोजक देशों और उन्हें बचाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी की। उन्होंने कहा कि भारत बड़ी जिम्मेदारी को निभाने के लिए तैयार है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों पर चर्चा को प्रक्रियात्मक रणनीति से अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए और ऐसा करने वाले इस प्रक्रिया को हमेशा के लिए बंधक नहीं बना सकते हैं।

रूस-यूक्रेन संकट पर?

यूक्रेन जंग को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि आज दुनिया का स्वरूप ऐसा हो गया है कि बड़े संघर्षों का पूरी दुनिया पर जबर्दस्त असर पड़ता है। आज पूरी दुनिया खाद्यान्न व ईंधन संकट का सामना कर रही है। इस जंग के कई पहलू हैं और इनमें से कुछ को पहले हल किया जा सकता था।

जलवायु परिवर्तन पर रखा पक्ष

विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने जलवायु परिवर्तन पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जलवायु को लेकर कार्रवाई और जलवायु संबंधी न्याय विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, एक सूरज एक दुनिया एक ग्रिड पहल और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के टकराव पर अपने सहयोगियों के साथ काम किया है। उन्होंने कहा कि हम अपने पर्यावरण की रक्षा और वैश्विक कल्याण के लिए किसी भी सामूहिक और न्यायसंगत प्रयास का समर्थन करने के लिए तैयार हैं। पर्यावरण के लिए जीवन शैली या LiFE, जैसा कि COP26 के मौके पर ग्लासगो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित किया गया है, यह प्रकृति मां के प्रति हमारी श्रद्धा है।

भारत की भूमिका पर


विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि कोई सवाल ही नहीं है कि यूएनजीए दुनिया की स्थिति को दर्शाता है, जो इस समय विशेष रूप से ध्रुवीकृत है और इस तरह से पता चलता है कि भारत कितना मायने रखता है। आज हमें व्यापक रूप से वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में माना जाता है। विश्व अर्थव्यवस्था में संकट है जहां भोजन की लागत, ईंधन, उर्वरक, ऋण की स्थिति गहरी चिंताएं हैं। इन मुद्दों पर सुनवाई नहीं होने से मायूसी है। भारत के अलावा कोई और नहीं है जो इस पर आवाज उठा रहा है। महासभा में किसी देश के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों या वित्त मंत्रियों के लिए किसी दूसरे देश का उल्लेख करना सामान्य बात नहीं है, लेकिन कई लोगों ने कई अवसरों पर भारत के लिए बात की। यह पुष्टि करता है कि भारत अधिक मायने रखता है


अमेरिकी मीडिया को फटकारा

जयशंकर ने भारत के संबंध में 'पूर्वाग्रही' खबरों पर 'द वाशिंगटन पोस्ट' सहित कई अमेरिकी मीडिया घरानों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, मीडिया में आने वाली खबरें मैं देखता हूं। कुछ अखबार हैं, जिनके बारे में आपको अच्छी तरह पता होता है कि वे क्या लिखने वाले हैं और ऐसा ही एक समाचार पत्र यहां भी है।
जयशंकर ने भारत विरोधी ताकतों के मजबूत होने से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा, मैं मानता हूं कि कुछ लोग पूर्वाग्रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे समूहों की भारत में जीत नहीं हो रही, ये समूह देश के बाहर जीतने की कोशिश करते हैं और बाहर से भारत की राय व धारणाएं बनाने की कोशिश करते हैं।


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