*संतोष कुमार श्रीवास्तव, अयोध्या विधानसभा रिपोर्टर*"सारे जग को हंसाते रहो"*

जिंदगी   में   सदा   मुस्कुराते   रहो।
अपने चेहरे को खुद ही सजाते रहो।।

तुमने अपना बनाया,तो क्या बात है?
घर   सदा   दूसरों   की  बनाते  रहो।।

आदमी हो असंभव,कभी कुछ नहीं।
सोये सपनों को , हरदम जगाते रहो।।

जिनका कोई नहीं,बैठ लो साथ में।
खूब उनकी सुनो , तुम सुनाते रहो।।

पांव   नंगे  हैं ,  पैदल  चलेंगे   वही।
राह  से  उनके  कांटे ,  हटाते  रहो।।

ज्ञान -गठरी,  बनाना  नहीं  चाहिए।
खुद  पढ़ो  ,दूसरों  को  पढ़ाते रहो।।

देखना   बस्तियों  में ,  उजाला  रहे।
तुम जलो इस तरह, जगमगाते रहो।।

दर्द  महसूस  होने , ना  देना  कभी।
खुद हंसो,सारे जग को हंसाते रहो।।...*"अनंग"*

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