*संतोष कुमार श्रीवास्तव, अयोध्या विधानसभा रिपोर्टर**"पूजे जाते भगवानों में"*

मुंह की  खाने से डर लगता , तो मत कूदो  मैदानों में।
अभिमन्यु की गिनती होती, योद्धाओं में बलवानों में।।

जो बादल शोर मचाते हैं , उनसे पानी की आस नहीं।
जो हाथ मदद को उठ जायें, जाने जाते गुणवानो में।।

विद्या विनम्रता की साथी, फल लदे वृक्ष की भांति झुको।
तुम  क्षुद्र  नदी  सा  इतराते , रहते  हो  गर्व  गुमानों  में।।

अवसरवादी  मत  बनो  कभी , अपनी  मर्यादा  हाथों में।
तुम बनो उजाला महफिल की, गिनती होगी महमानो में।।

मुखबीर चुगलखोरों के लिए, कुछ दिन चमकीले होते हैं।
जो   मातृभूमि  पर  मर मिटते , जाने जाते बलिदानों में।।

बनकर दरबारी मिट जाते, जिनको अपनी पहचान नहीं।
जो  चक्रव्यूह  से  डर  जाते , वे खो  जाते अनजानों में।।

जो जीते हैं अपनों के लिए, जीवनभर प्यार उन्हें मिलता।
पर  जो  जनहित  में  जीते  हैं , पूजे  जाते  भगवानों  में।।

सत्ता की हनक दिखलाना क्या,दिन चार चांदनी रहती है।
जो ग्वाल -बाल संग जी लेता ,घर -घर रहता दलानों में।।..." अनंग "

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