घाटों पर दबाव बनाए बिना आगे बढ़ाने के लिए रेती के पास बनाई जा रही नहर को मूल स्वरूप में लाया जाएगा। इसमें सरकारी विभागों की लापरवाही की भी जांच होगी और बाढ़ का पानी उतरने के साथ ही यूपीपीसएल काम शुरू कर देगा। इससे निकलने वाले बालू व मिट्टी के उठान का भी टेंडर जिला प्रशासन करेगा।
रामनगर से अस्सी घाट के बीच 45 मीटर चौड़ी नहर को बनाने में हुई लापरवाही का शासन ने भी संज्ञान लिया है। इसमें सिंचाई विभाग की परियोजना को बंधी प्रखंड से एग्रीमेंट कराकर मैकेनिकल खंड से भुगतान के मामले को बेहद गंभीर माना गया है।इसके अलावा परियोजना की निगरानी व गुणवत्ता जांच के लिए नोडल बनाए गए प्रयागराज के चीफ इंजीनियर का एक बार भी मौके पर निरीक्षण नहीं करना शासन ने लापरवाही मानी है। इस मामले में जुलाई में सेवानिवृत्त हो चुके चीफ इंजीनियर को भी नोटिस जारी कर उनका पक्ष मांगा गया है।

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