बाबू जगजीवन राम जी की 35वीं पुण्यतिथि पर उपेंद्र सिंह ने अर्पित की श्रद्धांजलि
आगरा। दलित समाज की दशा और दिशा बदलने वाले तथा महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. बाबू जगजीवन राम जी की 35वी पुण्यतिथि पर कॉंग्रेस के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष उपेंद्र सिंह ने बाबू जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

इस संदर्भ में कॉंग्रेस के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष उपेंद्र सिंह ने संवाददाता वार्ता में दलित समाज की दशा और दिशा बदलने वाले तथा महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. बाबू जगजीवन राम जी की पुण्यतिथि पर उन्हें शत शत नमन कर विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए बताया कि महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. बाबू जगजीवन राम जी ने दलित समाज के उत्थान के लिए अपने सम्पूर्ण जीवन में बहुत कुछ किया। जिस विभाग में भी वह रहे,जैसे रेलवे में सरकारी नौकरियां व अन्य विभागों में समाज के लोगों को जॉब दिलाने के लिए प्रयास रत रहें। देखा जाए तो बाबा साहब के कारवां को बढ़ाने वाले बाबू जगजीवन राम जी ही थे। उनके बाद दलित उत्थान का कार्य मान्यवर काशीराम जी ने किया। जगजीवन राम जी का जन्म एक दलित परिवार में जन्म लेकर राष्ट्रीय राजनीति के क्षितिज पर छा जाने वाले बाबू जगजीवन राम जी का जन्म बिहार की उस धरती पर हुआ था। जिसकी भारतीय इतिहास और राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। जगजीवन राम जी का एक ऐसे व्यक्तित्व थे कि जो वह एक बार ठान लेते थे,उसे पूरा करके ही छोड़ते थे। उनमें संघर्ष का जबरदस्त माद्दा था। चुनौतियों का सामना करना उन्हें भाता था। उनके व्यक्तित्व ने अन्याय से कभी समझौता नहीं किया। दलित समाज के मसीहा जगजीवन राम जी को भारतीय समाज और राजनीति में दलित वर्ग के मसीहा के रूप में याद किया जाता है। वह स्वतंत्र भारत के उन गिने चुने नेताओं में से एक थे। जिन्होंने राजनीति के साथ ही दलित समाज के लिए नई दिशा प्रदान की, लाखों-करोड़ो दलितों की आवाज उठाई। पांच दशक तक सक्रिय राजनीति का हिस्सा रहे। जगजीवन राम ने अपना सारा जीवन देश की सेवा और दलितों के उत्थान के लिए अर्पित कर दिया। वह हमेशा दलितों के सम्मान के लिए संघर्षरत रहे। आजादी के बाद भारतीय राजनीति में ऐसे कम ही नेता रहे हैं,जिन्होंने न केवल मंत्री के रूप में अकेले कई मंत्रालयों की चुनौतियों को स्वीकारा बल्कि उन चुनौतियों को अंतिम अंजाम तक पहुंचाया। आधुनिक भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष रहे जगजीवन राम जी को मंत्री के रूप में जो भी विभाग मिला। अपनी प्रशासनिक दक्षता से उसका सफल संचालन किया। स्नातक की डिग्री हासिल की,कोलकाता में रहकर उनका संपर्क नेताजी सुभाष चंद्र बोस से हुआ। आजादी की लड़ाई में सक्रियता जगजीवन राम जी ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने स्वतंत्रता के आंदोलन में अपनी राजनीतिक कौशल और दूरदर्शिता का परिचय दिया। यही वजह रही कि वह बापू के विश्वसनीय और प्रिय पात्र बने और राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में आ गए। उन्होंने सत्याग्रह और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। जगजीवन राम जी का वैधानिक जीवन तब शुरू हुआ जब वह 1936 में बिहार विधान परिषद के सदस्य के रूप में नामित हुए। अगले साल वह बिहार विधानसभा के लिए चुन लिए गए और जल्द ही उन्हें संसदीय सचिव बना दिया गया। उस समय वह केंद्र में सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री थे और श्रमिक वर्ग के प्रति उनकी सद्भावना को देखते हुए उन्हें श्रम मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया। यहीं से बाबू जगजीवन राम जी का संघीय सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में सफर शुरू हुआ। मंत्री के रूप में लंबा कार्यकाल बाबू जगजीवन जी 1952 से 1984 तक लगातार सांसद चुने गए। वह लगभग 30 साल देश के केंद्रीय मंत्री रहे। उसके बाद सरकार में उप प्रधानमंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभाली। केंद्र सरकार में अपने लंबे कॅरियर के दौरान उन्होंने श्रम, कृषि संचार रेलवे और रक्षा जैसे अनेक चुनौतीपूर्ण मंत्रालयों का जिम्मा संभाला। उन्होंने श्रम के रूप में मजदूरों की स्थिति में आवश्यक सुधार लाने और उनकी सामाजिक आर्थिक सुरक्षा के लिए विशिष्ट कानून के प्रावधान किए जो आज भी हमारे देश की श्रम नीति का मूलाधार है। हम स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर जीवन की अंतिम सांस तक राष्ट्र की सेवा करने वाले दलितों के हित रक्षक एवम महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व उप-प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम जी का 35वीं पुण्यतिथि पर उन्हें शत शत नमन कर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बारम्बार नमन व वंदन करते हैं।

रिपोर्ट राजकुमार गुप्ता 

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