कुसुम किसलय कुञ्ज कोकिल,
कूकते हैं फाग में ।

तन और मन भीगे हुए हैं,
प्रेम और अनुराग में ।

तन प्रफुल्लित,मन प्रफुल्लित,
नित नए उत्सर्ग में।

ईश अनुकम्पा बिखेरे ,
होलिका के पर्व में ।

आप को सपरिवार रंगपर्व होलिकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं.....


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