नंदा लोक राजजात यात्रा 2020 की वेदनी में बीते 25 अगस्त को संपन्न हुई लोक जात के बाद 1 सितंबर को राजराजेश्वर नंदा भगवती का उत्तसव डोला थराली विकासखंड के सिद्धपीठ देवराड़ा मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गई थी। यहां पर 6 माह प्रवास के बाद अगले 6 माह के प्रवास के लिए कुरूड़ स्थित नंदा सिद्धपीठ के लिए रवाना होगी। मंदिर समिति देवराड़ा के अध्यक्ष भूवन हटवालए पुजारी मंडली के अध्यक्ष मंशाराम गौड़ ने बताया कि गत दिवस ज्योतिषाचार्य पंडित पारेस्वर देवराड़ी की गणना के अनुसार 3 जनवरी को नंदा देवी का उत्तसव डोली देवराड़ा सिद्वपीठ से विधि.विधान के साथ बहार निकाली जाएगी। उसके बाद तमाम पड़ावों को तैय करते हुए 13 जनवरी को सिद्धपीठ कुरूड़ में विराजमान हो जाएगी।तैय कार्यक्रम के अनुसार 3 जनवरी को उत्तसव डोली की यात्रा सिद्धपीठ देवराड़ा से होते हुए दोपहर भोजन के लिए सिनेई तल्ली होते हुए रात्रि विश्राम के लिए भेटा गांव पहुंचेगी। अगले दिन 4 जनवरी को भेटा से रायकोली होते हुए चोंड़ा, 5 को चोंड़ा से काखड़ा होते हुए सोनला, 6 को सोनला से देवलग्वाड होते हुए सुनाऊं तल्ली, 7 को सुनाऊं तल्ली से पैनगढ़ होते हुए सिलोड़ी, 8 को सिलोड़ी होते हुए कोठा, 9 को कोठा से चिड़िगा तल्ला होते हुए अंगतोली, 10 को अंगतोली से सेनार होते हुए असेड़ सिमली, 11 को असेड़ सिमली से होते हुए नाखोली होते हुए सणकोट, 12 को सणकोट से घाट विकासखंड के बांसबगड़ होते हुए रात्रि विश्राम के लिए सेंती गांव स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर पहुंचेगी। उसके बाद 13 जनवरी को सेंती में लक्ष्मीनारायण मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना के बाद उत्तसव डोली की यात्रा शिव मंदिर घाट पहुंचेगी यहां पर भी मंदिर में पूजा.अर्चना के बाद उसी दिन कुरूड़ गांव पहुंचेगी जहां पर पूरे विधि.विधान के साथ नंदा की डोला 6 माह के प्रवास के लिए यहां स्थित नंदा देवी के सिद्धपीठ में विराजमान हो जाएगा। यही से एक बार पुनः नंदा देवी लोक राजजात यात्रा 2021 में शुरू होगी। यात्रा की तिथि निकलने के साथ ही नंदा की विदाई की पिंडर घाटी में तैयारियां भी शुरू होने लगी हैं।
हिंदी संवाद के लिए पूजा पाठक जी की रिपोर्ट

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