*मंत्री ए. के. शर्मा के सख्त तेवरों का विपक्ष भी हुआ मुरीद*
*जनहित से जुड़े लंबित प्रकरणों पर मंत्री ने दिखाई सख्ती, कराया समाधान*
*विधानपरिषद में ए के शर्मा की प्रभावी कार्यशैली निखर कर आई सामने*
*उन्होंने पुनः कहा, अनावश्यक विलंब पर सख़्त हैं और रहेंगे*
लखनऊ,11अगस्त 2025
विधान परिषद के मानसून सत्र 2025 में मंत्री श्री ए के शर्मा ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जनहित के मामलों में लापरवाही या देरी बर्दाश्त नहीं होगी।विपक्ष के तीखे सवालों का सहज और ठोस तथ्यों पर आधारित जवाब देते हुए उन्होंने वर्षों से लंबित मामलों को शीघ्रता से सुलझाकर माहौल बदल दिया।सत्र के दौरान उनकी सख्ती, संवेदनशीलता और त्वरित निर्णय क्षमता से न केवल पक्ष विपक्ष प्रभावित हुआ बल्कि उनकी चर्चा गूंज उठी।मंत्री ए के शर्मा ने अपने चिर परिचित अंदाज में विपक्ष के सवालों का बहुत ही सहजता जवाब दिया तथा सदन के सदस्य मंत्री जी की कार्यशैली से संतुष्ट और मंत्रमुग्ध रहे।
मा. सदस्य राजबहादुर सिंह चन्देल द्वारा पूछे गए जटिल और 2020 से अटके पड़े मानवीय कार्य को कराकर सदन और प्रश्नकर्ता सदस्य को संतुष्ट कर दिया।पूर्व की सरकारी तंत्र की विलंब करने वाली नीति के विरुद्ध उनका कार्य प्रशंसनीय दिखा।
श्री हरिहर प्रसाद शुक्ला, सेवानिवृत्त कार्मिक, गांधी स्मारक नगर निगम इ० का० कानपुर की पत्नी स्व० सरोज शुक्ला की 2020 से लम्बित चिकित्सा प्रतिपूर्ति में मानवीय संवेदना दिखाते हुए सख्ती से प्रतिपूर्ति का भुगतान कराया।
इसी प्रकार मा. सदस्य श्री देवेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा वर्षों से लटके पड़े जटिल कार्य को करवाकर जवाब देने पर मा. सदस्य ने सुखद आश्चर्य जताते हुए मा. मंत्री जी का धन्यवाद किया। मा. मंत्री जी ने सदन को भी आश्वस्त किया कि ऐसे अनावश्यक विलंब के प्रति हमेशा ही उनका रूख कड़ा रहा है।
जनपद बस्ती के एक बालिका इण्टर कॉलेज के प्रांगण के ऊपर से जा रही 33 के० वी० लाइन को अन्यत्र स्थानांतरित कराने का कार्य जो विगत 8 वर्षों से लम्बित था, मंत्री श्री शर्मा ने तत्परता व सख्ती दिखाते हुए लाइन स्थानान्तरण का कार्य महज कुछ दिनों में ही कराया।
सत्र के दौरान कई जटिल सवालों का श्री शर्मा ने सहजता के साथ बहुत ही संतुलित जवाब दिया।उनके तार्किकपूर्ण जवाब से सदन और मा. सदस्य संतुष्ट रहे। सदन के भीतर जहां सदस्य उनके कार्यशैली से संतुष्ट दिखे वहीं बाहर भी उनका सख्त रूप और जनहित के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की सराहना होती रही।
मध्याह्न के बाद के सत्र में नेता सदन की भूमिका निभाते हुए उन्होंने परिपक्वता के साथ विधायी कार्य सम्पादित कराया।
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