उतरौला बलरामपुर-  भगवान शिव के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन बहुत ही विशेष माना जाता है। यह पर्व अलग-अलग परम्पराओं के साथ साथ पूरे देश में यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन शिव भक्त कठिन उपवास का पालन करते हैं और भोले नाथ की विधि पूर्वक से पूजा भी करते हैं। यह व्रत शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है। ऐसे में इस दिन का व्रत अवश्य करना चाहिएं। इस बार महाशिवरात्रि 26 फरवरी बुधवार के दिन पडता है।उक्त बातें ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने कहा कि शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव सभी जीव जन्तुओं के स्वामी एवं अधिनायक हैं। यह सभी जीव जन्तु कीट पतंग भगवान शिव की इच्छा से ही सब प्रकार के कार्य तथा व्यवहार करते हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव वर्ष में 6 माह कैलाश पर्वत पर रहकर तपस्या में लीन रहते हैं। उनके बाद ही सभी कीड़े मकोड़े भी अपने बिलों में बन्द हो जाते हैं, उसके बाद 6 माह तक कैलाश पर्वत से उतर कर धरती पर शमशान घाट में निवास किया करते हैं। इनके धरती पर अवतरण प्रायः फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हुआ करता है।अव तरण का यह महान दिन शिव भक्तों में शिव रात्रि के नाम से जाना जाता है। महाशिवरात्रि को लेकर भगवान शिव से जुड़ी कुछ मान्यताएं प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है, कि इस विशेष दिन ही ब्रह्मा के रूद्र रूप में मध्य रात्रि को भगवान शंकर का अव तरण हुआ था। वहीं पर यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने तांडव नृत्य करअपना तीसरा नेत्र खोला था, और ब्रह्मांड को इस नेत्र की ज्वाला से ही समा प्त किया था। इसके अलावा कई स्थानों पर इस दिन भगवान शिव के विवाह से भी जोड़ा जाता है। यह भी माना जाता है कि इसी पावन दिन भगवान शिव मां पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि भग वान भोले नाथ की आराधना का ही पर्व है। जब धर्म प्रेमी लोग महा देव का विधि विधान के साथ भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैंऔर बेलपत्र, धतूरा, भांग, अबीर गुलाल अर्पित करते और दिन भर उप वास रखकर शाम में फलाहार करते हैं, महा देव की पूजा करने वाले व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है। तो महादेव की कृपा पूरे परिवार पर बनी रहती है।

       हिन्दी संवाद न्यूज से
      असगर अली की खबर
       उतरौला बलरामपुर। 

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