आज भी लोगों के दिलों में बसता है रेडियो
टेलर मास्टर मनोहर लाल मोराने रोज सुनते हैं 10 घंटे रेडियो और लिखते हैं, पोस्टकार्ड

आज, 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जा रहा है, जो हमें रेडियो के महत्व और इसके जीवन में योगदान को याद दिलाने का एक विशेष अवसर है। यह दिन रेडियो के माध्यम से समाज को जोड़ने, जागरूक करने और मनोरंजन करने की शक्ति को सलाम करता है। समय के साथ तकनीकी बदलाव और डिजिटल माध्यमों का विस्तार हुआ है, लेकिन रेडियो की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। आज भी, लोग रेडियो को अपनी दिनचर्या का अहम हिस्सा मानते हैं, जैसा कि हरदा जिले के मनोहर लाल मोराने, एक 65 वर्षीय टेलर मास्टर, का उदाहरण है। वह रोजाना 10 घंटे रेडियो सुनते हैं। उनका कहना है कि रेडियो पर गाने सुनने से न सिर्फ मनोरंजन मिलता है, बल्कि समाचार और प्रधानमंत्री की "मन की बात" जैसे कार्यक्रम भी सुनकर वे अपडेट रहते हैं। 

रेडियो का उनके जीवन में खास स्थान है। वे विविध भारती के कार्यक्रमों को रोजाना सुनते हैं और अपनी पसंदीदा फरमाइशें भेजते हैं, ताकि वह गाना उनके लिए प्रसारित हो सके। इसके साथ ही वे अपने पुराने रेडियो को संभालकर रखते हैं और उसे सुनना अपनी आदत बना चुके हैं। 
यह देखकर यह स्पष्ट होता है कि रेडियो आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है। डिजिटल युग में भी, रेडियो की उपस्थिति और उसके श्रोताओं के बीच का संबंध अद्वितीय है। पहले जहाँ लोग एक ही जगह बैठकर परिवार के साथ रेडियो सुनते थे, अब लोग स्मार्टफोन पर कहीं भी, कभी भी रेडियो का आनंद लेते हैं। 

रेडियो की यह विशेषता है कि यह न केवल मनोरंजन प्रदान करता है, बल्कि यह समाज के विभिन्न पहलुओं से लोगों को जोड़ता भी है। चाहे वह फरमाइशी गाने हों, समाचार हों या सामाजिक मुद्दे, रेडियो आज भी अपने श्रोताओं के बीच एक मजबूत संवाद का साधन बना हुआ है। 

इस दिन को मनाने का एक और उद्देश्य यह भी है कि हम यह समझें कि तकनीकी बदलाव के बावजूद रेडियो ने अपनी अहमियत और स्थान को नहीं खोया है। हम सभी को इसे सराहना चाहिए और इसकी शक्ति को पहचानना चाहिए, जो समय, स्थान और माध्यम के पार जाकर लोगों से जुड़ता है।

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