मुख्यमंत्री इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 136वें दीक्षांत समारोह में सम्मिलित हुए

मुख्यमंत्री ने डॉ0 कुमार विश्वास को विश्वविद्यालय की विशेष मानद उपाधि तथा पदक विजेता छात्र-छात्राओं को पदक प्रदान किये

विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह दीक्षा का अंत नहीं बल्कि नए जीवन में प्रवेश की नूतन शुरुआत: मुख्यमंत्री

दुनिया का सबसे प्राचीन गुरुकुल महर्षि भारद्वाज द्वारा प्रयागराज में स्थापित किया गया

इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विभिन्न स्तरों पर कार्य करने के लिए देश को ऊर्जावान पीढ़ियां प्रदान की

विश्वविद्यालयों तथा अन्य संस्थानों को स्वयं को अपने पुरा विद्यार्थियों से जोड़ना चाहिए

जब तक हम बालक और बालिका के भेद को समाप्त नहीं करेंगे, तब तक प्रगति नहीं हो सकती, यह विभेद समाप्त करने के लिए हम सबको तैयार होना होगा

प्रधानमंत्री जी ने इस बात का बार-बार उल्लेख किया कि राजनीति में अच्छे तथा पढ़े-लिखे युवाओं को आना चाहिए

प्रयागराज की त्रिवेणी हम सबको नई प्रेरणा प्रदान करती, विश्वविद्यालय के छात्रों को प्रयागराज महाकुंभ-2025 के अलग-अलग पक्षों को लेकर शोधकार्य को आगे बढ़ाना चाहिए

यदि हम काल की गति से 10 कदम आगे बढ़कर चलते हैं तो समाज, देश तथा दुनिया हमारा अनुसरण करती

चैट जी0पी0टी0 के माध्यम से कुछ मिनटों में किसी भी विषय पर आर्टिकल तैयार किया जा सकता, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आपके काम को और आसान बना रहा है

शीलवान होना मनुष्य बने रहने की प्रेरणा प्रदान करता, मनुष्य को अपने मानवीय गुणों के माध्यम से लोक कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए

भारतीय मनीषा ने धर्म को केवल उपासना विधि नहीं माना, हमारे देश में धर्म को विराट परिभाषा प्रदान की गई

भारत के संविधान पर विचार करने पर पता चलता है कि कर्तव्य, सदाचार तथा नैतिक मूल्यों का प्रवाह, जिस पर व्यक्ति और समाज का जीवन टिका है, वही धर्म है

युवाओं ने जब भी अंगड़ाई ली है, कुछ न कुछ परिवर्तन जरूर हुआ, युवाओं ने प्रत्येक कालखण्ड में समाज को नई दिशा देने का कार्य किया

लखनऊ: 27 नवम्बर, 2024

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय अपनी प्रतिष्ठा के लिए जाना जाता है। इस विश्वविद्यालय ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विभिन्न स्तरों पर कार्य करने के लिए देश को ऊर्जावान पीढ़ियां प्रदान की हैं। विश्वविद्यालय ने विपरीत परिस्थितियों तथा झंझावातों का चुनौतीपूर्वक सामना करते हुए फिर से उस प्रतिष्ठा को प्राप्त करने की अंतःवेदना को महसूस किया है। विश्वविद्यालय निःसंदेह अपने पुरातन गौरव को पुनस्र्थापित करेगा। विश्वविद्यालय को फिर से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में युवाओं की उत्कृष्ट टीम का सृजन करना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री जी आज जनपद प्रयागराज में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 136वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने पदक विजेता छात्र-छात्राओं को पदक प्रदान किये तथा डॉ0 कुमार विश्वास को विश्वविद्यालय की विशेष मानद उपाधि प्रदान की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने सार्वजनिक जीवन, सेवा, साहित्य, विज्ञान आदि क्षेत्रों के लिए प्रतिभावान युवाओं को प्रदान करने के साथ-साथ देश की न्यायिक सेवाओं में उच्चतम न्यायालय से लेकर जनपद स्तर तक न्यायिक अधिकारियों की एक लम्बी श्रृंखला प्रदान करने का कार्य किया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं प्रशासन के क्षेत्र में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट से लेकर कैबिनेट सेक्रेटरी तक प्रतिनिधित्व करते हुए दिखाई देते हैं।
 मुख्यमंत्री जी ने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह आनंद का क्षण है कि उन्हें प्रयागराज की धरा पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 136वें दीक्षांत समारोह में सम्मिलित होने, प्रतिभावान युवाओं को उपाधि प्रदान करने तथा हिंदी के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए डॉ0 कुमार विश्वास को विशेष मानद उपाधि से सम्मानित करने का अवसर प्राप्त हुआ। जिन 09 विद्यार्थियों को आज मेडल प्रदान किये गये हैं, उनमें 08 छात्राएं सम्मिलित हैं। यह एक अच्छा परिणाम है। छात्रों को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। जब तक हम बालक और बालिका के भेद को समाप्त नहीं करेंगे, तब तक प्रगति नहीं हो सकती। यह विभेद समाप्त करने के लिए हम सबको तैयार होना होगा। शिक्षा के क्षेत्र में विभेद समाप्त करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा 01 करोड़ 91 लाख बच्चों को 02 यूनिफाॅर्म, स्वेटर, बैग, किताबें, जूते-मोजे आदि प्रदान किये जाते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस बात का बार-बार उल्लेख किया है कि राजनीति में अच्छे तथा पढ़े-लिखे युवाओं को आना चाहिए। विश्वविद्यालय को तय करना चाहिए कि क्या छात्र संघ की जगह युवा संसद का गठन किया जा सकता है। कक्षा के प्रथम वर्ष में कोई भी छात्र चुनाव न लड़े। प्रत्येक क्लास में पहले प्रतिनिधि चुने जाएं तथा फिर उन प्रतिनिधियों में तय किया जाए कि प्रथम, द्वितीय वर्ष अथवा परास्नातक कक्षा के कौन से विद्यार्थी चुनाव के लिए स्वयं को तैयार कर सकते हैं तथा कौन से विद्यार्थी चुनाव लड़ेंगे। समाज को दिशा प्रदान करने वाले विद्यार्थी इस क्षेत्र में आगे जाने चाहिए। चुनाव लड़ने की एक समय सीमा होनी चाहिए। इसका अतिक्रमण नहीं किया जाना चाहिए। हम विद्यार्थी की कोई उम्रसीमा तय नहीं कर सकते। जिन्हें विश्वविद्यालय में लंबे समय तक रहना है, वह शोध कार्य से जुड़ सकते हैं।
चुनाव का समय क्या होगा यह पहले से ही तय कर लिया जाना चाहिए। चुनाव के लिए ओपन डिबेट का आयोजन किया जाना चाहिए। सत्र नियमित कर व 15 अगस्त से 25 अगस्त तक प्रवेश प्रक्रिया को पूर्ण करते हुए छात्र संघ का चुनाव करवाया जाना चाहिए। इसके बाद विश्वविद्यालय में पठन-पाठन का कार्य किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों को प्रयागराज महाकुंभ-2025 के अलग-अलग पक्षों को लेकर शोधकार्य को आगे बढ़ाना चाहिए। प्रयागराज महाकुंभ का आध्यात्मिक तथा धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ यहां की अर्थव्यवस्था, रोजगार तथा विकास पर उसका क्या प्रभाव हो सकता है। इस पर एक स्टडी की जानी चाहिए। इस पर दुनिया भर के विश्वविद्यालय स्टडी करते हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय को भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए। यहां प्रत्येक वर्ष माघ मेला होता है। हर 06 वर्ष में अर्ध कुंभ अथवा कुंभ होता है। महाकुंभ 12 वर्ष की अवधि पर आयोजित होता है। इन सभी कार्यक्रमों को यदि हम इसके साथ जोड़ेंगे। तो यह हमें एक नई दिशा प्रदान करेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज की त्रिवेणी हम सबको नई प्रेरणा प्रदान करती है। यहां विश्वविद्यालय के उत्कृष्ट माहौल में लाखों बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं। यहां के बारे में कहा जाता है कि जो विद्यार्थी जिस भाव के साथ यहां आता है उसे उसी भाव के अनुरूप सफलता प्राप्त होती है। डॉ0 कुमार विश्वास को प्रयागराज ने जीवन तथा दिशा प्रदान की। वह मातृभूमि को अपना केन्द्र बनाकर साहित्य जगत में छा गए। कौन ऐसा हिंदी प्रेमी होगा जो डॉ0 कुमार विश्वास को न सुनता हो। उनकी कलम की धार तथा लेखनी ने उन्हें पहचान दिलाई। लेकिन उन्होंने विश्वविद्यालय को विस्मृत नहीं किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विश्वविद्यालयों तथा अन्य संस्थानों को स्वयं को अपने पुरा विद्यार्थियों से जोड़ना चाहिए। विश्वविद्यालय की भौतिक प्रगति में तथा एक नए माहौल को उत्पन्न करने में तथा विश्वविद्यालय में विकास की गति को तेज करने में पुरा विद्यार्थी अत्यन्त मददगार साबित हो सकते हैं। यदि युवा शक्ति को जाति, मत तथा मजहब आदि के आधार पर बांटा जाएगा तो यह युवा शक्ति तथा प्रतिभा का विभाजन होगा। यह युवाओं के विकास की धारा को अवरोधित करने का कार्य भी करेगा। जो लोग जाति मत या मजहब के आधार पर विभाजन की खाई को चैड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं उन्हें कभी आगे बढ़ने नहीं देना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि काल की अपनी गति होती है। कालचक्र किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। हम नए ज्ञान की परम्परा से स्वयं को अलग नहीं कर सकते। यदि आप इससे स्वयं को अलग करने का प्रयास करेंगे, तो आने वाले समय में आप स्वयं के लिए बैरियर खड़ा करने का काम करेंगे। इस बैरियर से स्वयं को बचाना है। हमें समय के प्रवाह के साथ स्वयं को तैयार करना होगा। उसके साथ आगे बढ़ना होगा। जो समय के साथ आगे नहीं बढ़ पाता है, समय उसकी दुर्गति कर देता है। हमें दुर्गति का शिकार नहीं बनना है। यदि हम काल की गति से 10 कदम आगे बढ़कर चलते हैं तो समाज, देश तथा दुनिया हमारा अनुसरण करती है। यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि वह अपनी गति को समय के प्रवाह के साथ आगे बढ़ता है अथवा नहीं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अनेक लोग नए सुधार तथा नई बातों को अंगीकार नहीं कर पाते। लोग पहले कम्प्यूटरीकरण व्यवस्था का विरोध कर रहे थे। लोगों में भय था कि कम्प्यूटर से लोग बेरोजगार हो जाएंगे। जबकि कम्प्यूटर से लोगों का जीवन आसान हो गया। पहले लोगों को बैंकों में घंटों लाइन लगाकर खड़े रहना पड़ता था। अब ए0टी0एम0 जैसी अनेक युक्तियां आ चुकी हैं। आज हम ई-ऑफिस की प्रक्रिया से जुड़ चुके हैं। तकनीक के माध्यम से व्यक्ति प्रदेश, देश, पंचायत तथा अन्य संस्थानों में क्या कुछ हो रहा है, इसका अवलोकन कर सकता है। पहले विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में रेफरेंस बुक कुछ समय के लिए मिल पाती थीं। आज ई-लाइब्रेरी के माध्यम से आवश्यक सामग्री डाउनलोड की जा सकती है।
आज चैट जी0पी0टी0 के माध्यम से कुछ मिनटों में किसी भी विषय पर आर्टिकल तैयार किया जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आपके काम को और आसान बना रहा है। लेकिन यह उतना ही चुनौती पूर्ण भी है। अब ऑटोमेशन, क्रिप्टोकरंसी, इंटरनेट आफ थिंग्स जैसी अनेक युक्तियां आ चुकी हैं। कृषि के क्षेत्र में जीन एडिटिंग का कार्य किया जा रहा है। विज्ञान ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति की है। हम यदि स्वयं को इससे अलग करते हैं तो स्वयं के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों के साथ भी अन्याय होगा। हमारा एक-एक क्षण राष्ट्र धर्म के प्रति समर्पित होना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रत्येक प्रौद्योगिकी का उपयोग तथा दुरुपयोग दोनों सम्भव हैं। यदि प्रौद्योगिकी सही हाथों में जाएगी तो उसका उपयोग होगा तथा यदि गलत हाथों में जाएगी तो उसका दुरुपयोग होगा। परमाणु ऊर्जा के साथ भी ऐसा सम्भव है। इससे ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है तथा एटम बम भी बनाया जा सकता है। आप जब सत्य तथा धर्म के पथ पर चलते हुए आगे बढ़ते हैं, तो ज्ञानवान बनने के साथ-साथ आप शीलवान भी बनते हैं। शीलवान होना, मनुष्य बने रहने की प्रेरणा प्रदान करता है। मनुष्य को अपने मानवीय गुणों के माध्यम से लोक कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह दीक्षा का अंत नहीं बल्कि नए जीवन में प्रवेश करने की नूतन शुरुआत होती है। हमारे देश का नाम भारत है। इसका तात्पर्य ज्ञान में रत रहने वाला देश है। दुनिया का सबसे प्राचीन गुरुकुल महर्षि भारद्वाज द्वारा प्रयागराज में स्थापित किया गया था। उच्च शिक्षा का केन्द्र कैसा होना चाहिए, यह प्राचीन भारत ने दुनिया को दिखाया था। उस कालखण्ड को याद करिए जब भारत की ऋषि परंपरा ने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ दार्शनिक ग्रंथ के रूप में उपनिषदों की रचना की होगी। इन्हीं उपनिषदों में से तैत्तिरीय उपनिषद की कुछ पंक्तियां दीक्षांत उपदेश के रूप में अंगीकार की गई। उदाहरण के लिए वेदमनूच्याचार्योऽन्तेवासिनमनुशास्ति। सत्यं वद। धर्मं चर। स्वाध्यायान्मा प्रमदः। आचार्याय प्रियं धनमाहृत्य प्रजानन्तुं मा व्यवच्छेसीः। सत्यान्न प्रमदितव्यम्। धर्मान्न प्रमदितव्यम्। कुशलान्न प्रमदितव्यम्। भूत्यै न प्रमदितव्यम्। स्वाध्यायप्रवचनाभ्यां न प्रमदितव्यम्।। देवपितृकार्याभ्यां न प्रमदितव्यम्। मातृदेवो भव। पितृदेवो भव। आचार्यदेवो भव। अतिथिदेवो भव। यान्यनवद्यानि कर्माणि। तानि सेवितव्यानि। नो इतराणि। यान्यस्माकं सुचरितानि। तानि त्वयोपास्यानि।।
अर्थात सत्य बोलो। धर्मसम्मत कर्म करो। स्वाध्याय के प्रति प्रमाद मत करो। सत्य से न हटना। धर्म से विमुख नहीं होना चाहिए। कुशल कार्यों की अवहेलना न की जाए। ऐश्वर्य प्रदान करने वाले मंगल कर्मों से विरत नहीं होना चाहिए। स्वाध्याय तथा प्रवचन कार्य की अवहेलना न हो। देवकार्य तथा पितृकार्य से आलस्य नहीं किया जाना चाहिए। माता, पिता, आचार्य और अतिथि को देव तुल्य मानने वाला बनें। अर्थात् इन सभी के प्रति देवता के समान श्रद्धा, सम्मान और सेवाभाव का आचरण करें। जो अनिन्द्य कर्म हैं उन्हीं का सेवन किया जाना चाहिए। भारत की ऋषि परम्परा द्वारा प्रत्येक स्नातक से इसी प्रकार के आचरण की अपेक्षा की जाती थी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दीक्षांत उपदेश में सत्य तथा धर्म की बात की गई है। उन्होंने कहा कि जब भी उन्हें किसी संस्थान में जाने का अवसर प्राप्त होता है तो उन्हें 5,000 वर्ष पूर्व महर्षि वेदव्यास द्वारा कही गई बात याद आती है। भगवान वेदव्यास ने श्रवण तथा गुरु शिष्य परम्परा से इतर चारों वेदों को एक संहिता के रूप में आने वाली पीढ़ियों के लिए सर्व सुलभ बनाने का कार्य किया। 01 लाख श्लोकों से युक्त दुनिया के सबसे बड़े महाकाव्य महाभारत की रचना करने वाली टीम को महर्षि वेदव्यास ने नेतृत्व प्रदान किया। श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा सुनने की इच्छा प्रत्येक सनातन धर्मावलम्बी की होती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए पुराणों की रचना को आगे बढ़ाने वाले महर्षि वेदव्यास ने आठ पीढ़ियों तक पुरु वंश को प्रत्येक विपरीत परिस्थिति में बचाने तथा मार्गदर्शन करने का कार्य किया। इसके बावजूद उनका जीवन वेदना से युक्त तथा पीड़ा दायक था। उन्होंने सत्य और धर्म के मार्ग से स्वयं को कभी अलग नहीं किया। लेकिन अंत में उनको बोलना पड़ा कि ऊर्ध्वबाहुर्विरौम्येष न च कश्चिच्छृणोति मे। धर्मादर्थश्च कामश्च स किमर्थं न सेव्यते।। अर्थात ‘मैं दोनों बाहें उठाकर लोगों को समझा रहा हूं कि धर्म से ही अर्थ और काम की प्राप्ति होती है, तो फिर आप धर्म के मार्ग पर क्यों नहीं चलते। भारतीय मनीषा ने धर्म को केवल उपासना विधि नहीं माना है। हमारे देश में धर्म को विराट परिभाषा प्रदान की गई है। भारत के संविधान पर विचार करने पर पता चलता है कि कर्तव्य, सदाचार तथा नैतिक मूल्यों का प्रवाह, जिस पर व्यक्ति और समाज का जीवन टिका है, वही धर्म है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमारे दर्शन कहते हैं कि यतो अभ्युदय निःश्रेयस सिद्धिः स धर्मः’ इसका तात्पर्य है कि जिस माध्यम से सर्वांगीण विकास हो, सांसारिक उत्कर्ष का मार्ग प्रशस्त करे और जिससे सभी तरह के दुःखों से मुक्ति मिले, वह धर्म है। भारतीय मनीषा ने धर्म को संकीर्ण दायरे में कभी कैद नहीं किया। हमने सबको स्वीकार किया। दुनिया में मानवता के सामने जब भी संकट आया भारत ने बाहें फैलाकर लोगों का स्वागत किया तथा उनके दुःख सुख का सहभागी बना। हमने कभी अपने स्वार्थ के लिए किसी का अहित नहीं किया। यह है सनातन धर्म तथा भारत।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कल संविधान दिवस था। भारत में 26 नवम्बर, 1949 को संविधान अंगीकार किया गया। यह संविधान 26 जनवरी, 1950 से लागू हुआ। संविधान की मूल प्रति में कहीं भी पंथनिरपेक्ष तथा समाजवादी शब्द नहीं है। यह शब्द तब जोड़े गये जब देश की संसद भंग थी। न्यायपालिका के अधिकार कुंद कर दिए गए थे। देश के लोकतंत्र पर कुठाराघात किया गया था। प्रश्न उठता है कि समाज उन लोगों का मूल्यांकन कब करेगा, जो स्वयं लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। जिन लोगों ने संविधान से छेड़छाड़ करने का कुत्सित प्रयास किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वह युवाओं को कल का नहीं बल्कि आज का नागरिक मानते हैं। युवा कल का भविष्य भी है। युवाओं ने जब भी अंगड़ाई ली है, कुछ न कुछ परिवर्तन जरूर हुआ है। युवाओं ने प्रत्येक कालखण्ड में समाज को नई दिशा देने का कार्य किया है। रामायण काल में ऋषि-मुनियों का वध करने तथा भारत की ज्ञान की परम्परा में अवरोध उत्पन्न करने वाले राक्षसों का संहार करने के लिए प्रभु श्रीराम को आगे आना पड़ा। प्रभु श्री राम को ‘निसिचर हीन करहुँ महि भुज उठाई पन कीन्ह’ का संकल्प लेना पड़ा। ‘परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्’ का संदेश देने वाले भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा को कंस के भय से मुक्ति दिलाई।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूरी दुनिया को निर्वाण का संदेश देने वाले तथा ‘अप्पो दीपो भवः’ के माध्यम से स्वयं के अन्दर ज्योति को देखने की प्रेरणा प्रदान करने वाले भगवान बुद्ध तथा भगवान महावीर आदि ने अपनी युवा ऊर्जा के माध्यम से समाज को नई दिशा प्रदान की। ‘जो दृढ़ राखे धर्म को, तिहि राखे करतार’ का उद्घोष करने वाले महाराणा प्रताप ने मात्र 22 हजार सैनिकों के साथ 27 वर्ष की उम्र में हल्दीघाटी का पहला युद्ध लड़ा। अकबर की सेना एक लाख से अधिक थी। अल्प आयु में हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज की कीर्ति किसी परिचय की मोहताज नहीं है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल में फांसी दी गई जब उनसे उनकी अंतिम इच्छा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘इस भारतवर्ष में सौ बार मेरा जन्म हो, कारण सदा ही मृत्यु का देशोपकारक कर्म हो’। उन्होंने यह नहीं कहा कि उन्हें मुक्ति दी जाए या कोई रत्न प्रदान किया जाए। उनके मन में केवल मातृभूमि की रक्षा करने तथा गुलामी की बेड़ियों को समाप्त करने की बात थी। वीर सावरकर दुनिया के पहले क्रांतिकारी हैं, जिन्हें एक ही जन्म में दो आजीवन कारावास की सजा हुई थी। उस समय वीर सावरकर की उम्र मात्र 28 वर्ष थी। गुरु गोबिंद सिंह के चारों साहिबजादों ने बहुत कम उम्र में देश तथा धर्म के लिए युद्ध किया। देश के प्रति बलिदान देने के लिए कोई उम्र का मोहताज नहीं होता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि डॉ0 राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि सच्चा समाजवादी वह है, जो सम्पत्ति तथा संतति के मोह से दूर हटकर कार्य कर सके। डॉ0 राम मनोहर लोहिया ने देश में रामायण मेलों की शुरुआत की थी। श्री जय प्रकाश नारायण जी तथा आचार्य नरेंद्र देव जी का आदर्श कहां विलुप्त हो गया। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा का उद्घोष नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने किया था। कौन सा ऐसा भारतीय होगा जिसने जाति, मत तथा मजहब से ऊपर उठकर इसे अंगीकार न किया हो। देश की युवा पीढ़ी को इन महापुरुषों के उद्घोष को अंगीकार करना होगा।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री आशीष कुमार चैहान ने छात्र-छात्राओं को दीक्षा प्रदान की।
उप कुलपति प्रो0 संगीता श्रीवास्तव तथा विश्वविद्यालय की मानद उपाधि प्राप्त करने वाले डॉ0 कुमार विश्वास ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया।
इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह, औद्योगिक विकास मंत्री श्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नन्दी’ सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, अध्यापकगण तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
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