अयोध्या 23 मार्च।
भारत की जनवादी नौजवान सभा जिला कमेटी द्वारा शहीदे आजम भगतसिंह,सुखदेव और राजगुरु के सहादत दिवस के अवसर पर नगर निगम कार्यालय के सामने शहीदे पार्क में शहीदे आजम की प्रतिमा पर माल्यर्पण करके इंकलाबी नारे इंकलाब जिंदाबाद,शहीदों के अरमानों को,मंजिल तक पहुंचाएंगे,साम्रज्यवाद मुर्दाबाद,देश के लिए शहीद हुए सभी क्रांतिकारियों को लाल सलाम,आदि क्रांतिकारी व गगन भेदी नारे लगाते हुये श्रद्धाजंलि जिलाध्यक्ष धीरज द्विवेदी की अध्यक्षता में किया गया।और उसके बाद सभा किया गया।सभा की अध्यक्षता युवा साथी रजनी सिंह ने किया और संचालन सत्यभान सिंह जनवादी ने किया।
जनवादी लेखक संघ की सदस्य जायसवाल ने कहा कि जिस देश को व्यापारी निर्लज्ज हो कर बेच रहे है ,उस देश की आजादी के लिए भगत सिंह हँसते हँसते फांसी का फंदा चूम लिया था और उन्हें इसका कोई अफसोस नही था ।
लेखिका विनीता कुशवाहा ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज का दिन भगत सिंह की याद के साथ उनके हमख्याल और जंगजू क्रांतिकारियों की याद की जानी चाहिए ।
जनवादी नौजवान सभा के पूर्व प्रदेश महासचिव सत्यभान सिंह जनवादी ने कहा कि शहीद भगत सिंह के लिए आजादी की अलग कल्पना थी कि आजादी के बाद मजदूर और किसानों को आजादी मिले लेकिन उस आजादी को कतिपय राजनेताओं और रसूखदारों ने छीन लिया है ।
लम्बे अरसे तक उन्हें इतिहास में आतंकवादी के रूप में दर्ज किया गया । उनकी मशहूर किताब भगत सिंह की डायरी बहुत दिनों बाद रोशनी में आयी ,इस डायरी को पढ़ने के बाद लगता है कि उन्होंने विश्वसाहित्य का गहन अध्धयन किया था .
फ़क़त 23 साल की उम्र उन्होंने जो किया वह कई जिंदगियां मिल कर नही कर सकती है । लेनिन उनके हीरो थे । फांसी के तख्ते पर पहुंचने के पहले वे उनकी जीवनी पढ़ रहे थे । उनके लिखे गए लेख मैं नास्तिक क्यों हूँ आदि पढ़कर हम जान सकते है कि उनकी सोच कितनी वैज्ञानिक थी .
रजनी सिंह ने कहा कि हम लोगों की पीढ़ी अपने कमरे में भगत सिंह और चंद्रशेखर का चित्र लगाती थी ,उनके विचारों से हम प्रभावित भी थे । आज की पीढ़ी के ड्राइंग रूम में बेहूदा फ़िल्म कलाकारों और क्रिकेटरों के फ़ोटो टँगे हुए हैं .
पूजा श्रीबस्तव ने कहा कि क्या हमारी दुनिया इतनी बदल गयी है जिसमें उन लोगों के लिए हमारे मन मे जगह नही है जिनके बलिदान के कारण हम हवा में सांस ले रहे है । जिस देश मे ऐसे नागरिक हो वे किसी न किसी सत्ता के गुलाम बने रहेंगे .
संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष कॉम शेर बहादुर शेर ने कहा कि भगत सिंह होते तो बताते की यह आजादी नही सत्ता का हस्तांतरण है ,सत्ता गोरों के हाथ से काले अंग्रेजों के हाथ पहुंच चुकी है । बेचना तो फिरंगियों का धर्म था लेकिन बेचना आज की संस्कृति बन गयी है । हम अपनी विरासत और विचारों को बेच रहे हैं .
जिलाध्यक्ष धीरज द्विवेदी ने कहा कि भगत सिंह को याद करने के लिए किसी तारीख की जरूरत नही ,उन्हें रोज याद किया जाना चाहिए । उनकी सान पर हम अपने विचारों को तेज कर सकते हैं । उन्हें नई पीढ़ी का कण्ठहार होना चाहिए तभी हम नई गुलामी से बच सकते हैं । भगत सिंह को सोचते हुए उस दौर की बहुत सी बातें और घटनाएं याद आती है .
कार्क्रम में महावीर पाल,रीता शर्मा,पूजा गौड़,कोमल गौड़,कंचन दुवे,रजनी सिंह,अखिलेश सिंह,जय प्रकाश श्रीवास्तव,रामरती,रामकली,क्रिकेटर सुब्हानी,नीरज सिंह,अमन शर्मा,पूजा श्रीवास्तव,सहित दर्जनों साथी मौजूद रहे।
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