रायबरेली, 11 जनवरी 2023 

नवजात को हाइपोथर्मिया यानि ठंडा बुखार हो सकता है जो कि सावधानी न बरतने पर घातक साबित हो सकता है | हाइपोथर्मिया की स्थिति में नवजात के शरीर का तापमान 36.5 डिग्री सेल्सियस से कम हो जाता है या नवजात का शरीर पर्याप्त गर्मी नहीं पैदा कर पाता है | समय से हाइपोथर्मिया के लक्षणों को पहचानकर हम किसी दुर्घटना से बच सकते हैं |
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी(बाल रोग विशेषज्ञ) डा. वीरेन्द्र सिंह बताते हैं कि नवजात आसानी से हाइपोथर्मिया की गिरफ्त में आ जाते हैं क्योंकि उनकी त्वचा पतली होती है और वसा भी कम होता है | 
यदि नवजात में हाइपोथर्मिया के लक्षण दिखाई दें तो सबसे पहले उसे माता/पिता/देखभालकर्ता द्वारा सीने से लगाकर कंगारू मदर केयर (केएमसी) देकर उसके शरीर का तापमान नियंत्रित करना चाहिए | इसके साथ ही जिस कमरे में नवजात रहता है, उसे भी गरम रखना चाहिए | 
जाड़े में नवजात को सामान्य की अपेक्षा ज्यादा कपड़े पहनाए/ढक कर रखें, विशेष ध्यान रखें कि नवजात को सांस लेने मे दिक्कत न हों | बच्चे के हाथ, पैर व सिर ढक कर रखें | उन्हें खुला नहीं छोड़ना चाहिए | माँ का दूध अवश्य पिलाएँ, यह हाइपोथर्मिया से बचाता है |  
हाइपोथर्मिया के प्रबंधन के लिए सबसे जरूरी इससे बचाव है | ऐसी स्थिति आने ही नहीं देनी चाहिए | इसके लिए जन्म के तुरंत बाद नवजात को माँ के पेट पर, पेट के बल लिटा दिया जाता है या प्री हीटेड बेसिनेट में रखा जाता है | बच्चे को कपड़े से पोंछकर सुखाना चाहिए, शरीर को गर्म शीट में लपेटना चाहिए और सिर को भी ढक देना चाहिए | हाइपोथर्मिया की स्थिति में न तो बच्चे का वजन लेना चाहिए और न ही उसको नहलाना चाहिए |
हाइपोथर्मिया के लक्षण हैं - नवजात के हाथ, पैर व पेट ठंडा होना, सुस्त होना, सांस धीमी चलना, रोते समय आवाज कम होना या आवाज का न निकलना, अनियमित धड़कन, खून में आक्सीजन का निम्न स्तर हैं |

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