श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जीव को जन्म जन्मांतर के पाप दोष समाप्त हो जाता है। कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज 


श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिवस कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव उल्लास पूर्वक मनाया गया। कान्हा स्वरूप में नन्हे से बालक को टोकरी में विराजित कर कथा स्थल से व्यासपीठ पर लाया गया। संगीतमय बधाइयां गाई गईं। श्रद्धालुओं द्वारा प्रभु जन्म पर समर्पित माखन मिश्री का प्रसाद का वितरण हुआ। कथा के विभिन्न प्रसंग और संगीतमय भजनों के साथ कहे गए वृत्तांतों में कथावाचक कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज  ने व्यास पीठ से कहा कि श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जीव को जन्म जन्मांतर के दोष समाप्त होकर पुण्य प्राप्त होकर अंततः आत्म की मुक्ति होती है। गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा कि अपने गुरु का अपमान या उनकी अनदेखी ईश्वर को भी अनुचित लगती है और कागभुसुंडी द्वारा ऐसा किए जाने पर भगवान भोले नाथ ने उन्हें शाप दिया। उसकी मुक्ति के लिए स्वर्ग में किए गए यज्ञ में देवराज इंद्र द्वारा राक्षसों को साकल्य का अंश भोग देने के विषय पर उपजे क्रोध से उन पर ब्रह्म हत्या का दोष लगा। ब्रह्म हत्या का पाप क्षीण करने के लिए उसके चार भाग हुवे वह पहला भाग को धरती पर है इसलिए धरती को हमने पर उसका उर्वरा शक्ति जाग्रत होती है, दूसरा भाग पानी पर है इसलिए स्नान के पूर्व जल को हिलाकर प्रभु नाम पवित्र नदियों का स्मरण करें, तीसरा भाग पेड़ों पर और चौथा भाग महिलाओं के शरीर में हैं इसके प्रभाव में महिलाएं रजस्वला होती हैं।कथा प्रसंगों से जुड़े संगीतमय भजनों पर भागवत कथा प्रेमी महिलाओं द्वारा प्रभु की भक्ति के स्वरूप नृत्य कर कथा स्थल पर स्वयं को ईश्वर के प्रति भावनात्मक समर्पण व्यक्त किया। ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री ने बताया कि महंत राम उदय दास को यह स्वप्न में आया था कि हम भगवान की कथा सुन रहे हैं और इस स्वप्न को सुबह ही प्रण लिया कि जल्द से जल्द कथा सुनें आज उनका संकल्प पूर्ण हो हुआ दिख रहा है। और और आज बहुत ही उत्साहित दिखे।कथा में धनुका एग्रीटेक के एरिया मैनेजर आशुतोष शुक्ला एडवोकेट पंकज तिवारी सूरज शुक्ला एडवोकेट अजय शुक्ला प्रमोद सिंह आदि हजारों भक्त कथा में उपस्थिति रहें

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