*निकाय चुनाव जनवरी में हो जाएंगे अगर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की ये दलील मान ली, जानें कोर्ट के सामने क्या 3 विकल्प होंगे*

*प्रीतम प्र.शुक्ला/हिन्दीसंवाद न्यूज़/उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड*

*UP Nagar Nikay Chunav 2023 :* उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव जनवरी में संपन्न हो सकते हैं. ओबीसी आरक्षण के मसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार की दलीलों पर 4 जनवरी को सुनवाई होगी.
*प्रीतम प्र.शुक्ला/हिन्दीसंवाद न्यूज़*

*UP Nagar Nikay Chunav 2023 :* यूपी नगर निकाय चुनाव 2023 को लेकर सभी कयास लगा रहे हैं कि ओबीसी आरक्षण के लिए आयोग गठित होने के बाद अब चुनाव कम से कम छह महीने टल गए हैं. खुद ओबीसी आयोग ने माना है कि ट्रिपल टेस्ट के फार्मूले के आधार पर रिपोर्ट तैयार करने में छह माह लग सकते हैं. हालांकि म्यूनिसिपल इलेक्शन जनवरी में भी हो सकते हैं, अगर 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई के दौरान योगी आदित्यनाथ सरकार की दलील को स्वीकार कर लिया. 

दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के सामने यूपी सरकार लगातार यही तर्क देती रही कि 1993 के बाद से लगातार ओबीसी आरक्षण के लिए रैपिड टेस्ट का फार्मूला ही अपनाया जाता रहा है. हालांकि हाईकोर्ट ने इस दलील को स्वीकार न करते हुए ट्रिपल टेस्ट कराने और उसके लिए ओबीसी आयोग गठित करने का विकल्प या फिर बिना ओबीसी आरक्षण के 31 जनवरी तक चुनाव कराने का निर्देश दिया था.

लेकिन महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश के मामलों में भी उन राज्य सरकारों को कुछ न कुछ राहत मिली थी. ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट इस बार रैपिड टेस्ट के आधार पर ही दिए गए आरक्षण को स्वीकार कर लेता है तो फिर जनवरी में ही चुनाव कराने का विकल्प खुल सकता है. सुप्रीम कोर्ट सरकार से यह कह सकता है कि आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने पर अगला इलेक्शन उसी के आधार पर किया जाए. फिर अगर निर्वाचन आयोग अधिसूचना जारी करता है तो चुनाव प्रचार के लिए 15-20 दिन का समय दिए जाने के साथ चुनाव कराए जा सकते हैं.

दूसरी संभावना है कि सु्प्रीम कोर्ट भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के ट्रिपल टेस्ट कराने का निर्देश पर मुहर लगाए, लेकिन आरक्षण की प्रक्रिया पूरी करने के लिए राज्य सरकार को 4 से 6 माह की मोहलत दे दे. इससे स्थानीय निकाय चुनाव जून-जुलाई में ही संभव हो पाएंगे.

तीसरा विकल्प है कि सुप्रीम कोर्ट 31 जनवरी तक हर हाल में चुनाव कराने के हाईकोर्ट के निर्देश को ही तवज्जो दे और ओबीसी सीटों को सामान्य घोषित करते हुए चुनाव कराने की बात पर मुहर लगाए. हालांकि इसकी संभावना कम ही नहीं नजर आ रही है.

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