पानी भी अनल हो जाएगा
 
टूटेगी  मर्यादा  रेखा , जब  नयन  सजल हो जाएगा।
जल जाएगी लंका तेरी,गढ़ उथल पुथल हो जाएगा।।
 
मुख भी काला हो जाएगा,घर का भेदी हो जाने पर।
भाई हो कुंभकर्ण जैसा ,सुनकर विह्वल हो जाएगा।।
 
बाधेंगे  सुनो  समुद्र  तुम्हें ,रक्षा  करते  हो  रावण की।
होगे विराट अभिमान तेरा,सब चूर सकल हो जाएगा।।
 
आक्रांता बन जब कोई यवन,डालेगा हमपर बुरी नजर।
सोना छोड़ेगा राज कुंवर ,जंगल भी महल हो जाएगा।।
 
रखो संभाल कर खुद को तुम,वरना दीपक बुझ जाएंगे।
कितना हो बढ़ा कुटुंब तेरा,सब खल मंडल हो जाएगा।।
 
कोई न बचेगा रोने को ,खिलवाड़ न करना इज्जत से। 
फूंके  जाओगे  रावण सा, सत्कर्म विफल हो जाएगा।। 
 
सोने का महल बना लो तुम,हमको रत्ती भर चाह नहीं। 
सम्मान  हमारा  छीनोगे , पानी भी अनल हो जाएगा।। 
 
सेवा की शक्ति जहां होगी,दरबार भरा सच कह दोगे। 
रहकर  मर्यादा में  देखो , जंगल - मंगल  हो जाएगा।।..." अनंग "

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