नवरात्री के नो दिन कठिन व्रत और पूजन के बाद मनवांछित फल कैसे मिले - जानते हैं सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्राजी से 

सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल 
इंटरनेशनल वास्तु अकडेमी 
सिटी प्रेजिडेंट कोलकाता 
यूट्यूब वास्तुसुमित्रा 

देवी की कलश स्थापना से ले कर हर दिन के पूजा क्रम को करोड़ो श्रद्धालु पूरा करते हैं, फिर भी कई लोगो का कहना है की भगवन मेरी नहीं सुनते। आज बताएँगे क्या करे की भगवन आपकी भी सुनें।

शास्त्रों की मत को मानें तो ये समझेंगे की पूजा के कुछ नियमावली है और कुछ महत्वपूर्ण गलतिया हमें नहीं करनी चाहिए। कलश स्थापना कर के देवी का आवाहन जरुरी होता है , बिना प्राण प्रतिष्ठा या देवी को आमंत्रित किए पूजा करने से उचित फल की प्राप्ती नहीं होती है।  ये बिलकुल वही बात हुई जैसे की आपने स्वादिष्ट व्यंजन बनाया है और थाली सजा रखी है और आपने मित्र के लिए, परन्तु वो दूसरे कमरे में है। आपने जहाँ तैयारी की है वहां उसे आमंत्रित ही नहीं किया है।  

दूसरा संकलप कर के  व्रत करे और देवी देवता के आगे अपनी इक्छा प्रकट कर दें।

तीसरा शास्त्रों का मानना है की परायण के बाद हे व्रत का फल मिलता है। परायण शास्त्रों के अनुसार करें।

नवरात्री के कलश का पारण 

दशमी को सूर्य उदय के बाद पारण करें, चावल, नारियल, आम पत्ता, कलश में डाली गई सामग्री जल में प्रवाहित कर दें। ज्वारा को भी बहते पानी में विसर्जित करें। अखंड ज्योत , इसे भी जल में एक दोने में जलता हुवा दाल के प्रवाहित करें।
माता के सभी भक्तो की मनोकामना सिद्ध हो।  जय माता दी।

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