उतरौला व तुलसीपुर का मुख्यालय से कटा संपर्क
बलरामपुर। राप्ती नदी व पहाड़ी नालों में उफान के बीच लगातार बारिश ने लोगों की जिंदगानी मुश्किल में डाल दी है। राप्ती नदी खतरे के निशान से 145 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है।
नदी का जलस्तर खतरे के निशान 104.620 मीटर के सापेक्ष 106.070 मीटर पर स्थिर है। बाढ़ के चलते तुलसीपुर व उतरौला तहसील का जिला मुख्यालय से संपर्क कट गया है। गोंडा-गोरखपुर रेल ट्रैक पर पानी आने से ट्रेनों का आवागमन रोक दिया गया है।

शहर से लेकर करीब 500 गांव बाढ़ के पानी से घिरे हैं। इनमें से 200 गांव तो टापू बन गए हैं। बाढ़ से जिले की करीब सात लाख आबादी प्रभावित है। बाढ़ पीड़ितों के समक्ष भोजन और पानी का संकट उत्पन्न हो गया है।
धान व गन्ने की डेढ़ लाख हेक्टेअर फसल बाढ़ के पानी में डूब गई है। बाढ़ग्रस्त इलाकों में फंसे लोगों को निकालने के लिए एनडीआरएफ तथा एसडीआरएफ की कई टीमें राहत व बचाव कार्य में जुटी हैं।
नेशनल हाइवे 730 तथा बलरामपुर-उतरौला स्टेट हाइवे पर पानी आ जाने के कारण छोटे-बड़े वाहनों का आवागमन बंद कर दिया गया है। इन मार्गों पर दोनों तरफ गाड़ियों की लंबी कतारें लगी हैं। तुलसीपुर तहसील क्षेत्र में आवागमन ठप होने से लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।
इससे दोनों तहसीलों की करीब 15 लाख आबादी का जिला मुख्यालय से संपर्क कट गया है। दोनों तहसीलों में आवश्यक वस्तुओं के साथ-साथ पेट्रोल-डीजल की कमी भी होने लगी है।
गोंडा से गोरखपुर रेलवे लाइन के पुल संख्या 149 गैंजहवा-कौवापुर स्टेशन के बीच ट्रैक पर पानी आ गया है। बलरामपुर के स्टेशन अधीक्षक पुरुषोत्तम ने बताया कि सोमवार दोपहर 02:45 बजे से ट्रेनों का आवागमन रोक दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस ट्रैक में प्रतिदिन करीब दो दर्जन यात्री व मालवाहक ट्रेनें संचालित होती हैं। ट्रेनों का आवागमन रुकने से करीब 15 लाख आबादी प्रभावित हो सकती है।
बलरामपुर शहर के आधे हिस्से के साथ-साथ जिले के करीब 500 गांवों की बिजली पांच दिन से ठप है। इससे लोग अंधेरे में रहने को विवश हैं। बाढ़ के चलते बाहर भी न निकल पाने से लोग मोमबत्ती भी नहीं खरीद पा रहे हैं। तमाम घरों में आवश्यक सामान न होने सेे चूल्हा भी नहीं जल रहा है।
बलरामपुर डिपो की कार्यशाला में पानी भरने के कारण यहां के पेट्रोल पंप के टैंक में पानी चला गया। एआरएम वीके वर्मा ने बताया कि डिपो की गाड़ियों को बाहर के पेट्रोल पंप से डीजल दिया जा रहा है। कार्यशाला के टैंक में करीब 6000 लीटर डीजल रिजर्व रखा गया था। टैंक में पानी चला जाने से सारा डीजल बर्बाद हो गया। डीजल पानी के ऊपर उतरा रहा है।
राप्ती नदी की बाढ़ के चलते जिले के करीब 75 हजार किसान प्रभावित हुए हैं। इन किसानों की करीब डेढ़ लाख हेक्टेअर गन्ने व धान की फसल बर्बाद हो गई है। खेतों में पानी भरने के साथ ही बाढ़ में बहकर आई रेत भी फसल पर जमा हो गई है। किसान इकबाल, जीतू, चिनके, रामफेरन, शिवराम, इलियास आदि ने बताया कि धान तथा गन्ने में लगी पूरी लागत बाढ़ में डूब गई है। बाढ़ के चलते रबी की फसल भी प्रभावित हो रही है। सरसों व मसूर की बुआई नहीं हो पाएगी। शरदकालीन गन्ने की बोआई में भी विलंब होगा।
गांवों में पानी भरने से लोग छतों तथा सड़कों पर रहने के लिए विवश हैं। कटरा शंकरनगर, भीखमपुर, खमौवा, गुरचाही, रेहार सोनार सहित करीब 200 गांवों के लोग घरों की छत पर शरण लेने को विवश हैं। बारिश होने के चलते इन लोगों को भीगना भी पड़ रहा है।
कटराशंकर नगर निवासी मौलाना इकबाल, जावेद, सईद, नाजिम, इश्तियाक व अंसार अहमद ने बताया कि बाढ़ के चलते गांव की करीब 20 हजार आबादी प्रभावित है। गांव में राहत सामग्री पहुंचाने के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। पॉलीथिन में पांच पूड़ी व आलू की सब्जी दी जा रही है। घरों के नल व टुल्लू पंप बाढ़ के पानी में डूब गए हैं। ऐसे में लोगों के समक्ष पेयजल का संकट भी उत्पन्न हो गया है।
बाढ़ पीड़ित धर्मप्रकाश, शिवकुमार, मनोज, जावेद हसन, इरफान आदि ने बताया कि प्रशासन के सभी सीयूजी नंबर बीएसएनएल के हैं। बीएसएनएल का नेटवर्क तीन दिन बंद रहने के बाद आया भी तो फोन नहीं मिल रहा है।
अफसरों के सीयूजी नंबर पर फोन ही नहीं लग पा रहा है। अगर फोन लगता भी है तो कॉल रिसीव नहीं होती। इससे बाढ़ पीड़ित परेशान हैं। बाढ़ पीड़ितों ने अधिकारियों के सीयूजी नंबर के अलावा अन्य नेटवर्क के निजी नंबर भी सार्वजनिक किए जाने की मांग की है।
जिला मुख्यालय स्थित न्यायालय, कलेक्ट्रेट, विकास भवन, एसपी ऑफिस तथा सदर तहसील के दफ्तरों में करीब पांच फीट तक पानी भर गया है। अफसर व कर्मचारी अपने कार्यालय तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। कार्यालय पहुंचने के लिए लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ रहा है।
ऐसे में दफ्तरों में रखे सरकारी अभिलेखों को बचाना जिम्मेदारों के लिए चुनौती बन गया है। एसपी ऑफिस में सोमवार सुबह पानी भरने के कारण कुछ कर्मचारी अभिलेख बचाने की जद्दोजहद में जुटे रहे।
देवीपाटन के मंडलायुक्त एमपी अग्रवाल तथा डीआईजी यूके अग्रवाल ने रविवार को बलरामपुर पहुंचकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। राहत व बचाव कार्य का जायजा भी लिया। डीएम डॉ. महेंद्र कुमार ने बताया कि राहत व बचाव कार्यों के लिए तीनों तहसीलों को कई सेक्टरों में बांटा गया है। सभी सेक्टरों में राजस्व व पुलिस अधिकारियों को ड्यूटी लगाई गई है।
 लोगों को लंच पैकेट, मेडिकल किट, चना, गुड़, लईया व पीने का पानी पहुंचाया जा रहा है। राहत व बचाव कार्य में एनडीआरएफ की एक तथा एसडीआरएफ की चार टीमें लगाई गई हैं। हिंदी संवाद न्यूज़
बलरामपुर 

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