संतोष कुमार श्रीवास्तव, अयोध्या विधानसभा रिपोर्टर
" ख्वाहिश " 
शेर   सब    लाजवाब   हो   जाए।
शब्द - अक्षर   किताब  हो  जाए।। 
बाप  की  एक  ही तो ख्वाहिश है।
मेरा     बेटा    नवाब    हो   जाए।। 
चंद   लमहें   बचे  हैं  जीवन   के। 
थोड़ी   मस्ती  जनाब   हो   जाए।। 
ऐसा अवसर न  दो कभी तुम कि। 
उनकी   नीयत   खराब  हो जाए।।
चैन  से   बैठना  नहीं   तब   तक।
जब  तक  पूरे  न ख्वाब हो जाए।।
काम  ऐसा  करो  कि जाओ जब।
हर   आंखों   में  आब   हो  जाए।।
दोस्ती   में   न  द्वंद   रखना  तुम। 
साफ   सारे   हिसाब   हो   जाए।।
मैंने    मांगे   थे   राह   में   कांटे। 
क्योंकि  जीवन  गुलाब हो जाए।।..."अनंग "

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