जौनपुर। आस्था के साथ मनाया गया नाग पंचमी पर्व 

जौनपुर। नाग पंचमी के अवसर पर नगर के शिवालयों व सहित विभिन्न मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ दिखी। भक्तों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने व सुख, समृद्धि प्राप्त करने के लिए रुद्राभिषेक कराया। श्रद्धालुओं ने विशेष दिन पर पुरानी मान्यता अनुसार नागों को दूध पिलाकर पुण्य कमाया। नागपंचमी पर नगर के एक दर्जन से अधिक शिवालयों में भक्तों ने रुद्राभिषेक कराया। सुबह से ही मंदिरों में बाबा के भजन व कीर्तन गूंजते रहे। इस अवसर पर नागों को दूध पिलाने के महत्व के चलते लोगों ने मंदिरों के पास नागों को अपने हाथों से दूध पिलाया। नागपंचमी पर्व पर घरों में बने पकवानों का आनंद लेकर दान किया। कहा जाता है कि नाग पंचमी के अवसर पर गंगा तथा अन्य नदियों के स्नान का भी विशेष महत्व है। इसके चलते नगर के गोमती घाटों पर श्रद्धालुओं की सुबह से ही चहल पहल बढ़ गई। लोगों ने गंगा में स्नान करने के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाया। घाटों पर स्थित शंकर जी के मंदिरों में भी रुद्राभिषेक का आयोजन किया गया। आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां स्नान के लिए पहुंचे। ज्ञात हो कि नागों की रक्षा के लिए यज्ञ को ऋषि आस्तिक मुनि ने श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन रोक दिया और नागों की रक्षा की। इस कारण तक्षक नाग के बचने से नागों का वंश बच गया। आग के ताप से नाग को बचाने के लिए ऋषि ने उनपर कच्चा दूध डाल दिया था। तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी। हिंदू धर्म में सांपों को नाग देवताओं के रूप में पूजनीय माना जाता है. नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने और व्रत रखने से सांप कांटने का खतरा कम होता है। इस सर्पों को दूध से स्नान कराने और पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन बहुत से लोग घर के मेन गेट पर नाग चित्र भी बनाते हैं। नाग पंचमी को कालिया पर कृष्ण की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो कृष्ण से पहले अपने जीवन के बदले मनुष्यों को परेशान नहीं करने के लिए सहमत हुए थे। इस दिन व्रत रखा जाता है। इस दिन की जाने वाली पवित्रता को सर्पदंश के भय से निश्चित सुरक्षा माना जाता है।

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने