वाराणसी। महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण और उसके प्रमुख पात्र श्रीराम से जुड़ी कथाएं प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रही हैं। संपूर्ण भारत में शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां श्रीराम से जुड़ी कथाएं प्रचलित न हों। ये बातें विदुषी प्रो. कमल गिरी ने ज्ञानप्रवाह में रविवार को आयोजित प्रो. रमेशचंद्र शर्मा स्मृति व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता कहीं। ‘भारतीय मूर्ति कला में राम विषयक व्याख्यान में उन्होंने श्रीराम से जुड़ी शिल्प कला पर विस्तार से प्रकाश डाला। कला इतिहासविद् प्रो. मारुतिनंदन तिवारी मुख्य अतिथि थे। अध्यक्षता प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी ने की। इस अवसर पर विद्वानों ने ज्ञान प्रवाह के पांच प्रकाशनों का विमोचन भी किया।

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