जलालपुर अंबेडकर नगर :- रमजान का महीना कई मायनों में खास होता है खुदा ने दुनिया के लोगों को इल्म और तहजीब की रोशनी दी।रमजान सब्र,समर्पण और इबादत का संदेश देता है इस्लाम में जरूरतमंदों को जकात देने के पीछे भी इंसानियत की भावना का समावेश है। मौलाना आज़ाद गर्ल्स इंटर कॉलेज जलालपुर के प्रबंधक मौलाना हाफिज मोहम्मद खालिद कासमी ने कहा कि बेहतर एखलाक और सभी से मोहब्बत का पैगाम देता है इस्लाम।मुसलमानों को इस पर अमल करना चाहिए रमजान अल्लाह का मुसलमानों के लिए तोहफा है इसलिए इस महीने में बरकत और रहमतों की बारिश होती है।मौलाना खालिद कासमी ने कहा कि रोजा सिर्फ भूखे रहने का नाम नहीं बल्कि हर तरह की बुराई और गुनाह से भी बचना जरूरी है रमजान माह में रोजेदारों द्वारा की गई सभी दुआएं पूरी हो जाती हैं क्योंकि इस माह में अल्लाह की रहमत बरसती है यह महीना संयम और खुदा की इबादत का महीना माना जाता है रमजान के महीने में की गई खुदा की इबादत बहुत ही असरदार होती है इसमें खान,पान सहित अन्य आदतों पर संयम रखना चाहिए नमाज पढ़ने से बार-बार अल्लाह का जिक्र होता रहता है जिसके द्वारा इंसान की आत्मा पाक साफ होती रहती है।
रमजान को तीन अशरों में बांटा गया है इसमें सबसे अहम तीसरा अशरा है क्योंकि इसी अशरे की पाक रातों में यानी 21,23, 25,27 व 29 रमजान की रात पाक कुरान शरीफ नाजिल हुई इन रातों में से जिस रात को कुरान शरीफ नाजिल हुई उसे शबे कदर की रात कहते हैं इसलिए इन रातों की अहमियत काफी बढ़ जाती है शबे कदर की रात को हजार महीनों की रातों के बराबर बताया गया है।

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