बायोवेस्ट प्लांट के संचालन में मनमानी से कालेज में बिखरा मेडिकल कचरा
          गिरजा शंकर गुप्ता ब्यूरों
अंबेडकरनगर: अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल कचरे के निस्तारण के लिए मेडिकल कालेज में लगा प्लांट निरर्थक साबित हो रहा है। इस प्लांट के कभी-कभार चलने से परिसर में जहां-तहां बायोवेस्ट डंप पड़ा है। इससे निकलने वाली दुर्गंध से मरीजों-तीमारदारों के साथ यहां पढ़ने वाले सैकड़ों छात्र-छात्राएं और डाक्टर-कर्मचारी भी परेशान हैं, लेकिन कालेज प्रशासन कचरे का निस्तारण कराने के बजाय इसे चलाने के नाम पर लाखों का सरकारी बजट डकारने में जुटा है।
करीब एक दशक पहले यहां टांडा रोड पर सद्दरपुर के पास करोड़ों की लागत से राजकीय मेडिकल कालेज का निर्माण कराया गया। अस्पताल शुरू होने के साथ यहां आने वाले मरीजों की संख्या को देखते हुए भारी मात्रा में निकल रहे मेडिकल कचरे के निस्तारण के लिए करीब तीस लाख रुपये की लागत से बायोवेस्ट प्लांट लगवाया गया था। परंतु, झाड़ियों में छिपा यह प्लांट कब चलता है और कब बंद हो जाता है, यह सभी के लिए पहेली के समान है। नाम न छापने की शर्त पर कालेज के एक कर्मचारी ने बताया कि यह मशीन सप्ताह भर में एकाध दिन ही चलती है, जबकि कालेज प्रशासन बराबर वार्षिक अनुरक्षण (ईएमसी-सीएमसी) खर्च व लागबुक तैयार कर बाकायदा रिकार्ड में पैसा खारिज करता आ रहा है। यहां के अधिकारियों के मुताबिक साल में करीब 600 टन बायोवेस्ट निकलता है, जिसे इसी संयंत्र में नष्ट किया जाता है। लेकिन, अस्पताल के प्रथम तल पर जाने के लिए बने रैम्प के बगल ही पॉलीथिन में भर-भर कर लगा कूड़े का ढेर उसके इस दावे की हवा निकाल देता है। रैम्प से गुजरने वाले मरीज व तीमारदार यहां से उठने वाली बदबू से रोजाना दो-चार होते हैं। इसी रास्ते से राउंड लेने प्राचार्य व चिकित्सा अधीक्षक समेत अन्य डाक्टर भी आते-जाते हैं, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता। मेडिकल कालेज की यह हालत सरकार के स्वच्छ अभियान के दावों की खिल्ली उड़ाती नजर आती है। खुले में सड़ते कूड़े से संक्रामक बीमारी फैलने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता, पर मेडिकल कालेज प्रशासन को इसकी जरा भी फिक्र नहीं दिखती।इस तरह से काम करता है बायोवेस्ट प्लांट: बायोवेस्ट प्लांट में लाखों रुपये की लागत से आटोक्लेव मशीन लगाई गई है। इसमें काफी उच्च क्षमता की एक भट्ठी लगी होती है। इसी में इंसिनरेटर (जलाकर राख कर देने वाला) लगा होता है, जिसमें डालने से कूड़ा नष्ट हो जाता है।बायोवेस्ट प्लांट चालू हालत में है। जब कूड़ा इकट्ठा हो जाता है, तब जरूरत पड़ने पर इसे चलाया जाता है। करीब दो घंटे मशीन चलाने पर 24 घंटे में निकले कूड़े का निस्तारण कर दिया जाता है। परिसर में तीमारदार कहीं भी कूड़ा फेंक देते हैं, जिसे साफ करवाया जाता है। कालेज परिसर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।

डा. संदीप कौशिक, प्राचार्य, मेडिकल कालेज

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