महेश अग्रहरी
अंबेडकरनगर: विधायकों का कार्यकाल खत्म होने की कगार पर है। करीब पांच साल में सड़क, बिजली, पानी, मरीजों के इलाज के अलावा स्कूलों पर खूब निधि खर्च की गई है। कुछेक विधायकों ने शिक्षण संस्थानों को दिल खोलकर बजट दिया है। विधायक निधि से काम कराने में जनपद से बाहर की संस्थाओं ने भी जमकर मुनाफा कमाया। आरईडी (ग्रामीण अभियंत्रण विभाग) और ब्लाक आदि मुंह ताकते रह गए। अब अंतिम दौर में विधायक निधि खत्म होने के बाद भी माननीयों के चट्टे-बट्टे प्रस्ताव लिखाने की आड़ में चांदी काट रहे हैं।

आलापुर विधायक के पास निधि के रूप में करीब 15 लाख ही शेष हैं। इसके सापेक्ष विधायक के पैड पर करीब डेढ़ करोड़ रुपये का प्रस्ताव मिला है। ऐसे ही अकबरपुर विधायक के पास महज चार लाख रुपये ही बचे हैं, जबकि उनकी तरफ से आठ लाख रुपये का प्रस्ताव मिला है। जलालपुर विधायक के पास करीब 14 लाख रुपये बचे हैं। उनकी तरफ से भी 20 लाख रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है। खैर, विधायक प्रस्ताव अधिक देने के बाद बजट के अनुसार इसमें कटौती कर सकते हैं। ऐसे में अब किसके प्रस्ताव को आखिरी वक्त में वरीयता मिलेगी, यह लगभग तय हो चुका है। उधर, विकास विभाग ने प्रस्तावों का आगणन करते हुए इसमें आने वाले खर्च से दोनों विधायकों को अवगत करा दिया है। इसके आधार पर उपलब्ध बजट के सापेक्ष वास्तविक तौर पर किस काम पर बची निधि को खर्च किया जाए, इसके बारे में पूछा गया है। विधायकों के संपर्क में रहने वाले लोगों को निधि खत्म होने की भनक लगने के बाद मुसीबतें बढ़ गई हैं। दबी जुबान से लोग एडवांस देकर फंसने की बात कह रहे हैं। आलापुर विधानसभा क्षेत्र में विधायक निधि खत्म होने के बाद भी करीब डेढ़ करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रस्ताव बचा रह गया है, इससे ठेकेदारों की सांसें अटक गई हैं। कटेहरी विधायक के पास भी दो लाख रुपये ही बचे हैं। इसे भी विधायक लालजी वर्मा ने एक मरीज को देने के लिए लिखा है। इसी तरह टांडा विधायक के पास 12 लाख रुपये बचे हैं। इन्होंने भी बचे बजट के सापेक्ष ही प्रस्ताव दिया है।

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