पौराणिक परंपरा का बोध कराने वाली देवदीपावली के 37वां संस्करण ने शुक्रवार को आधुनिक काशी के इतिहास में नारी सशक्तिकरण का नया अध्याय जोड़ दिया। काशी की पांच बेटियों ने दशाश्वमेध घाट पर पहली बार गंगा आरती की। इससे पहले काशी के किसी घाट पर महिलाओं ने गंगा आरती नहीं की थी।इन बेटियों में मान्या दुबे, पद्माक्षी भाटला, रोशनी चौरसिया, पूजा शर्मा और करिश्मा यादव शामिल थीं। चंद रोज के प्रशिक्षण में ही उन्होंने कुशल अर्चक की भांति आरती की सभी प्रक्रियाएं पूर्ण कीं।

सिंहासनारूढ़ गंगा का पूजन गंगोत्री सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष किशोरी रमण दूबे के सान्निध्य में हुआ। मुख्य अतिथि सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, पद्मश्री चंद्रशेखर सिंह, इंडियन ऑयल के डॉ. उत्तीय भट्टाचार्य, अरुण प्रयास, कमलेश कुमार राय, चद्रिका राय, यूको बैंक के घनश्याम परमार, सिडबी के नितिन जालान और डॉ. रितु गर्ग ने मां गंगा का शास्त्रोक्त विधि से पूजन किया। 51 लीटर दूध से अभिषेक के बाद देवी को भोग प्रसाद अर्पित हुआ। 108 किलो की अष्टधातु की गंगा मूर्ति का 108 किलो फूलों से शृंगार किया गया। पांच बेटियों की अगुवाई में 21 बटुकों संग 42 रिद्धि-सिद्धि ने महाआरती की। सांस्कृतिक सत्र में सांसद मनोज तिवारी, ओम तिवारी, आस्था शुक्ला और अमलेश शुक्ला संग कई गायकों ने भजनांजलि अर्पित की।गंगोत्री सेवा समिति की ओर से केदार घाट पर भी आकर्षक सजावट संग पांच आरती कराई गई। अंत में राज्य पुलिस और पीएसी के शहीद जवानों की याद में आश्विन पूर्णिमा से जल रहे आकाशदीप का समापन करते हुए उनके नाम से दीपदान किया गया। आयोजन में दिनेश शंकर दुबे, गंगेश्वर दुबे, डॉ. संतोष ओझा, भृगुनाथ द्विवेदी, संकठा प्रसाद आदि ने सक्रिय भागीदारी की। संचालन राजेश शुक्ला ने किया।


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