विगत 10 वर्षों से खुद को जिंदा साबित करने के लिए लगाना पड़ रहा है कोर्ट कचहरी का चक्कर

पड़ोस गांव के युवक ने कागजीय अभिलेखों मे हेरा-फेरी कराकर महिला को घोषित करा दिया मृत

फर्जी तरीके से बेटा बन करा लिया वसीयत, जबकि महिला के केवल एक ही संतान है जो उनके साथ रहता है

उक्त महिला जीवित है और उसने किसी को कोई भी वसीयत नही लिखी है, इसका उसने दिया प्रमाण, बावजूद इसके जिम्मेदार कर रहे हैं कागजी खेल

*महिला व उनके वकील के साथ ही कागजों पर गौर करें तो नायब तहसीलदार लालगंज अपने ही निर्णय पर नहीं रह सकी काबिज*

वकील की मानें तो मामले मे नायब तहसीलदार ने स्वयं ही जांच करवाया 

जिसके बाद लेखपाल आदि के रिपोर्ट पर महिला को जीवित साबित कर दिया गया किन्तु आरोप है कि कुछ ही दिन बाद महिला को कागजीय अभिलेख मे मृत घोषित कर दिया गया मतलब अपने ही आदेश को नायब तहसीलदार साहिबा ने निरस्त कर पुन: नया अध्यादेश पारित कर दिया 

अब सवाल यह है कि महिला कौन सा सबूत दे जिससे वह कब्र से वापस लौटकर धरती पर आ सके और कागजीय अभिलेख के अनुसार जिंदा हो सके ।

*मामला लालगंज तहसील क्षेत्र के जसमेढ़ा गांव का मामला

ब्यूरो चीफ डॉ संतोष यादव के साथ संवाददाता सचिन यादव
( हिंदी संवाद न्यूज़ *प्रतापगढ़)

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