नोएडा। सेक्टर-93 सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट का ट्विन टावर प्रोजेक्ट 24 मंजिल से 40 मंजिल की उड़ान भरते ही विवादों में फंसता चला गया। सूत्रों की मानें तो 24वीं मंजिल तक अप्रूवल के समय भी अगर बिल्डर बेहतर तरीके से आरडब्ल्यूए से बातचीत करता तो शायद यह विवाद नहीं होता। प्रोजेक्ट को 40 मंजिल की अप्रूवल मिलते ही आरडब्ल्यूए की ओर से विरोध के सुर तेज होते चले गए।सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के जमीन का आवंटन 23 नवंबर 2004 को हुआ था। इसके अंतर्गत 84273 वर्गमीटर जमीन आवंटित की गई थी। 16 मार्च 2005 को इसकी लीज डीड हुई। उस दौरान जमीन की पैमाइश आदि के दौरान लापरवाही की वजह से जमीन बढ़ी या घटी हुई निकल आती थी। इस मामले में भी ऐसा हुआ और प्लॉट नंबर 4 पर आवंटित जमीन के पास ही 6556.61 वर्गमीटर जमीन का टुकड़ा निकल आया। इसकी सपलमेंट्री लीज डीड 21 जून 2006 को बिल्डर ने करा ली।सूत्रों के मुताबिक यहीं से विवाद शुरू हुआ। यहां से इमारत की ऊंचाई 24 तल और 73 मीटर तक करने की अनुमति मिल गई। इसके बाद तीसरे रिवाइज्ड प्लान में इसकी ऊंचाई 40 और 39 मंजिला के अलावा 121 मीटर तक की अनुमति मिल गई। फिर आरडब्ल्यूए की ओर से हाईकोर्ट का रुख किया गया और 2014 में ट्विन टावर गिराने का फैसला आया।

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