पुत्र की कुशलता, संपन्नता का पर्व हल षष्ठी भाद्रपद कृष्णपक्ष की षष्ठी तिथि शनिवार को मनाया जाएगा। महिलाएं पुत्र के कल्याण के लिए निर्जला व्रत रखकर छठी मइया का पूजन करेंगी। हल षष्ठी प्रकृति संरक्षण का भी प्रतीक है। इसी कारण किसी मूर्ति का पूजन नहीं होता, बल्कि कासा व महुआ की छोटी डालियों को जमीन में गाड़कर पूजा जाता है। व्रती महिलाएं इसके जरिए प्रकृति के संरक्षण का संकल्प भी लेती हैं। छठी मइया को फल, मिष्ठान के साथ चीनी के कुल्हड़ व विविध प्रकार के खड़े अनाज भून कर मिट्टी के कुल्हड़ में रखकर अर्पित किए जाते हैं ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि षष्ठी तिथि शुक्रवार की शाम 6.37 बजे लगकर शनिवार की रात 8.14 बजे तक रहेगी। भरणी नक्षत्र व सुबह 7.47 बजे के बाद धु्रव योग रहेगा। बताते हैं कि यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के भ्राता बलदाऊ का प्राकट्य भी मनाया जाता है। इसी कारण बलदाऊ के अस्त्र हल के पूजन का विधान है। षष्ठी तिथि हल षष्ठी के रूप में जानी जाती है। उक्त व्रत में छठी मइया का आह्वान करके पूजन करने से समस्त कामनाएं पूर्ण होती हैं पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि शनिवार को दिनभर षष्ठी तिथि का प्रभाव रहेगा। व्रती महिलाएं किसी भी समय पूजन कर सकती हैं, लेकिन दिन में 11.36 से 1.56 बजे तक वृश्चिक की स्थिर लग्न रहेगा आर्य समाज मंदिर चौक प्रयागराज में चल रहे 145वें वेद प्रचार उत्सव के पांचवें दिन गुरुवार को जनकल्याण के लिए यज्ञ हुआ। मुख्य अतिथि आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रदेश मंत्री पंकज जायसवाल ने कहा कि वेदों में ज्ञान का अद्भुत प्रकाश है जो हमें धर्म, सत्य, समर्पण व परोपकार की सीख देते हैं। धर्म वह आधार है जिसके सहारे मनुष्य समस्त कामनाओं की पूर्ति कर सकता है। डा. सुधारानी उपाध्याय ने कहा कि जो मनुष्य वाणी, मन और शरीर से सत्य का आचरण करता है वही सम्मान का पात्र होता है, जबकि असत्य का आचरण करने वाले को लोग सम्मान की दृष्टि से नहीं देखते। वहीं, यज्ञाचार्य संजय सिंह आर्य के आचार्यत्व में अर्चना जायसवाल, सलोनी अग्रवाल, रेनू चंद्र्रा, अनुपमाश्री, रूपा गुप्ता, डा. अमित कुमार, डा. सरवसाची ने आहुतियां 

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