बलरामपुर- जिले में हृदय रोगियों को त्वरित, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण उपचार प्रदान करने के उद्देश्य से संचालित स्टेमी केयर प्रोजेक्ट ने कम समय में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। 16 जून 2025 से प्रारंभ इस परियोजना के अंतर्गत अब तक 1595 मरीजों की जांच की गई है। इनमें से 30 गंभीर मरीजों को उन्नत उपचार के लिए डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लखनऊ रेफर किया गया, जहां समय पर चिकित्सा मिलने से उनकी जान बचाई जा सकी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी बलरामपुर डॉ. मुकेश कुमार रस्तोगी ने बताया कि जिले में पाँच प्रमुख चिकित्सालयों को स्टेमी केयर सेंटर के रूप में जोड़ा गया है। 
जिला मेमोरियल चिकित्सालय
जिला संयुक्त चिकित्सालय बलरामपुर
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तुलसीपुर
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पचपेड़वा
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उतरौला
   इन सभी स्वास्थ्य केंद्रों में ईसीजी व थ्रॉम्बोलिसिस की सुविधा उपलब्ध है, जिससे हृदयाघात के मरीजों को तुरंत प्राथमिक उपचार देकर “गोल्डन आवर” में उनकी स्थिति को स्थिर किया जा सके। परियोजना के तहत डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लखनऊ को हब सेंटर बनाया गया है, जहां अत्याधुनिक उपचार की व्यवस्था है।
डॉ. रस्तोगी ने बताया कि सीने में दर्द, अत्यधिक पसीना, बेचैनी, घबराहट जैसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी स्टेमी केयर सेंटर पहुंचना जीवनरक्षक सिद्ध हो सकता है। जरूरत पड़ने पर मरीज को निःशुल्क एम्बुलेंस सेवा के माध्यम से लखनऊ भेजा जाता है, ताकि समय पर विशेषज्ञ उपचार मिल सके।
सोमवार को स्टेमी केयर प्रोजेक्ट की प्रगति और बेहतर क्रियान्वयन को लेकर महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा एक  वर्चुअल समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों एवं चिकित्सा अधीक्षकों ने प्रतिभाग किया।
बैठक में महानिदेशक ने परियोजना के उद्देश्यों, मरीजों को समय पर थ्रॉम्बोलिसिस प्रदान करने, चिकित्सालयों के बीच प्रभावी समन्वय, रेफरल ट्रांसपोर्ट सिस्टम की मजबूती तथा हब-स्पोक मॉडल को और अधिक सुदृढ़ करने के निर्देश दिए। इसके अलावा, प्रत्येक जिले में स्टेमी केयर सेंटरों की सक्रियता बढ़ाने, डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ को नियमित प्रशिक्षण देने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में परियोजना के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने पर भी जोर दिया गया। 
स्टेमी केयर प्रोजेक्ट ने जिले में हृदय रोगियों के लिए नई उम्मीद जगाई है। आधुनिक तकनीक, प्रशिक्षित मेडिकल टीम और समन्वित रेफरल प्रणाली के कारण हृदयाघात के मरीजों को समय पर उपचार मिल पा रहा है। यह परियोजना स्वास्थ्य सेवाओं में एक उल्लेखनीय मील का पत्थर बनकर उभरी है, सही समय पर उठाए गए कदम कई अनमोल जिंदगियां बचा सकते हैं।

            हिन्दी संवाद न्यूज से
              रिपोर्टर वी. संघर्ष
                 बलरामपुर। 

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