जलालपुर, अम्बेडकर नगर। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न से अलंकृत श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में बुधवार को रामलीला मैदान, जलालपुर में विशेष काव्य संध्या “एक शाम अटल जी के नाम” का भावपूर्ण एवं गरिमामय आयोजन किया गया। कार्यक्रम सायं 7 बजे से आरंभ हुआ और देर शाम तक काव्य रसधार बहती रही।
काव्य संध्या में देश के प्रतिष्ठित कवियों ने अटल जी के व्यक्तित्व, कृतित्व, राष्ट्रनिष्ठा, मानवीय संवेदनाओं और लोकतांत्रिक मूल्यों को अपनी रचनाओं के माध्यम से सजीव किया। वरिष्ठ कवि हरिओम पवार, डॉ. सर्वेश अस्थाना, डॉ. शशि श्रेया, अमन अक्षर, विकास बौखल, अभय निर्भीक तथा धीरेन्द्र पाण्डेय ‘क्षणिक’ ने काव्य पाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सर्वेश अस्थाना ने करते हुए श्रोताओं को खूब गुदगुदया। काव्य संध्या की अध्यक्षता अयोध्या लक्ष्मण किला के पीठाधीश्वर महंत डॉ. मिथिलेश नंदिनी शरण जी ने की। अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने अटल जी को भारतीय राजनीति का युगपुरुष बताते हुए कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जी का जीवन राष्ट्रसेवा, कविता और करुणा का अद्भुत संगम था।
कवि सम्मेलन में ओज, शृंगार और व्यंग्य का प्रभावी संगम
कार्यक्रम का शुभारंभ सर्वप्रथम कवियत्री शशि श्रेया द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ। उन्होंने ज्ञान की देवी का आह्वान कर काव्य संध्या को आध्यात्मिक गरिमा प्रदान की। इसके उपरांत
धीरेन्द्र पाण्डेय ‘पथिक’ ने
मशहूर शायर अनवर जलालपुरी के साहित्यिक अवदान को स्मरण करते हुए अपने काव्य पाठ से सम्मेलन की सशक्त नींव रखी।
ओजस्वी कवि अभय निर्भीक ने
“यह कश्मीर हमारा है तो वह कश्मीर हमारा है,
और भारत का नक्शा पूरा करने की अब तैयारी है…”
जैसी पंक्तियों के माध्यम से देशभक्ति का ज्वार उत्पन्न किया। ‘तिरंगा आरती’ से उन्होंने श्रोताओं को राष्ट्रभाव से जोड़ा।
कवियत्री शशि श्रेया ने
“प्रेम पूजा है तो यह बताओ कि नालियों में किसके बच्चे मिल रहे हैं…”
जैसी तीखी पंक्तियों के माध्यम से समाज में व्याप्त वासना और संवेदनहीनता पर करारा प्रहार किया। वहीं
“खुशबू बिखेरते गुलाब जैसे लड़के,
जेठ की तपीश में निखारे हुए लड़के…”
कविता के माध्यम से युवाओं के संघर्ष और जिजीविषा को स्वर दिया।
हास्य कवि विकास बौखल ने
जीवन की खट्टी-मीठी सच्चाइयों से भरे अपने काव्य पाठ द्वारा श्रोताओं को देर तक ठहाकों से गुदगुदाया।
इंदौर से पधारे कवि अमन अक्षर ने
“उन्होंने ने आपको वोटर से ज़्यादा कुछ नहीं माना”
कविता के जरिए नेताओं की विभाजनकारी राजनीति की कड़वी सच्चाई उजागर की। साथ ही भगवान राम पर रचित उनकी प्रसिद्ध कविता ने मर्यादा, आदर्श और मूल्यबोध की याद दिलाई।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में
ओज के कवि हरिओम पवार ने
मंच संभाला। कड़ाके की ठंड के बावजूद उन्होंने अपने ऊर्जावान काव्य पाठ से श्रोताओं के लहू को उबाल दिया। इस दौरान उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री के साथ बिताए गए अपने संस्मरण भी साझा किए।
समान नागरिक संहिता, जनसंख्या नियंत्रण, बेरोजगारी, भुखमरी तथा सांसद-विधायक निधि जैसे ज्वलंत मुद्दों पर काव्यपाठ कर उन्होंने सत्ताधारी भाजपा को आईना दिखाया।
अंत में कारगिल के बलिदानियों को नमन करते हुए
“घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने आया हूँ”
कविता सुनाकर उन्होंने अपनी वाणी को विराम दिया।
आभार
आयोजन के सूत्रधार डॉ. मिथिलेश त्रिपाठी ने सभी अतिथियों, कवियों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अटल जी की स्मृति को जीवंत बनाए रखने हेतु ऐसे आयोजन समाज को वैचारिक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
काव्य संध्या में बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी, बुद्धिजीवी एवं नगरवासी उपस्थित रहे। पूरा वातावरण अटल जी के विचारों, उनकी कविताओं और राष्ट्रप्रेम से ओत-प्रोत रहा।
Author
![]() |
| Jeevan_Prakash |



एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know