मुगलों के नाम वाले साइनबोर्ड पर विवाद: भारतीय बौद्ध संघ का विरोध प्रदर्शन -- संघप्रिय राहुल


"दिल्ली में सड़क नामकरण पर विवाद: बौद्ध संघ ने मुगल शासकों के नाम हटाने की उठाई मांग"


रिपोर्ट: रविंद्र आर्य


नई दिल्ली (एएनआई): लुटियंस दिल्ली में हाल ही में भारतीय बौद्ध संघ के सदस्यों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया, जिसमें उन्होंने दिल्ली की कुछ प्रमुख सड़कों के साइनबोर्ड्स पर कालिख पोत दी। यह विरोध मुगलों और दिल्ली सल्तनत के शासकों के नाम पर रखी गई सड़कों के खिलाफ था। संगठन का कहना है कि ये नाम भारतीय इतिहास के अत्याचारों के प्रतीक हैं और इन्हें बदलकर भारतीय महापुरुषों व स्वतंत्रता सेनानियों के नामों से प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए।


क्या हुआ?

मुगलों के नाम वाले साइनबोर्ड पर विरोध: भारतीय बौद्ध संघ की ऐतिहासिक पुनर्रचना की मांग

भारतीय बौद्ध संघ के सदस्यों ने दिल्ली में स्थित औरंगजेब रोड, तुगलक रोड, शाहजहां रोड, अकबर रोड और हुमायूं रोड के साइनबोर्ड्स पर काला रंग पोतकर विरोध दर्ज कराया। विरोध प्रदर्शन में शामिल कार्यकर्ताओं का कहना था कि इन नामों को हटाकर भारतीय महापुरुषों के नाम रखने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।


क्या मांग है?

भारतीय बौद्ध संघ के अध्यक्ष संघप्रिय राहुल ने कहा कि संगठन प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से अनुरोध करता है कि सभी सार्वजनिक स्थलों से मुगलों के नाम हटाए जाएं। उन्होंने कहा कि "मुगल शासक भारतीय संस्कृति और सभ्यता के विरोधी थे। उनके शासनकाल में भारतीयों पर अत्याचार किए गए थे, इसलिए उनके नाम पर किसी सार्वजनिक स्थल का नाम होना उचित नहीं है।"


क्या बदलाव किए गए?

संगठन के सदस्यों ने विरोध स्वरूप कुछ सड़कों के नामों को काले रंग से ढक दिया और उनके स्थान पर नए नाम लिख दिए:


* शाहजहां रोड → "वीर सावरकर मार्ग"

* तुगलक लेन → "अहिल्या बाई मार्ग"

* अकबर रोड → "महर्षि वाल्मीकि मार्ग"

* हुमायूं रोड → "बालासाहेब ठाकरे मार्ग"


पृष्ठभूमि:

दिल्ली में ऐतिहासिक स्थानों और सड़कों के नाम बदलने की मांग नई नहीं है। पूर्व में "औरंगजेब रोड" का नाम बदलकर "डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड" किया जा चुका है। कई संगठन लंबे समय से विदेशी आक्रमणकारियों और मुगल शासकों के नाम हटाने की मांग कर रहे हैं। इस प्रकार की मांग को कुछ लोग ऐतिहासिक पुनर्लेखन के रूप में देखते हैं, जबकि कुछ इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण मानते हैं।


सरकार की प्रतिक्रिया

फिलहाल सरकार ने इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, पहले भी सरकार नाम परिवर्तन की मांगों पर विचार कर चुकी है। दिल्ली नगर निगम और केंद्र सरकार को कई संगठनों द्वारा इन सड़कों के नाम बदलने के लिए ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं।


इतिहास और राजनीति का टकराव

यह घटना भारत में इतिहास और सांस्कृतिक पहचान को लेकर चल रही बहस का हिस्सा बन चुकी है। कुछ लोग इसे भारतीय संस्कृति के पुनरुद्धार की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानते हैं, जबकि अन्य इसे इतिहास के साथ छेड़छाड़ के रूप में देखते हैं। यह विवाद भारतीय समाज में ऐतिहासिक स्मारकों, सड़कों और स्थानों के नामकरण की व्यापक बहस को दर्शाता है।


समाधान

यह मुद्दा केवल एक नाम परिवर्तन से कहीं अधिक बड़ा है। यह भारतीय इतिहास की व्याख्या, सांस्कृतिक पहचान और राष्ट्रवाद से जुड़ा विषय है। भारतीय बौद्ध संघ और अन्य संगठनों की यह मांग कि मुगल शासकों के नाम हटाए जाएं, एक लंबे समय से चली आ रही बहस का हिस्सा है, जिसका समाधान सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर निकाला जाना आवश्यक है।


लेखक: रविंद्र आर्य 7838195666

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