उतरौला बलरामपुर - डुमरियागंज मार्ग पर स्थित तहसील भवन का ऐतिहासिक मुख्य द्वार से कभी सैकड़ों लोग प्रतिदिन निर्बाध रूप से तहसील परिसर में प्रवेश किया करते थे, आज अतिक्रमण कारियों के चलते गंदगी और प्रशासनिक उदासीनता के चलते जीता-जागता उदाहरण बन चुका है। इस द्वार के बाहर वर्तमान समय से ही अतिक्रमण कारि यों का कब्जा बना हुआ है,और भीतर कूड़े- कचरे का ढेर तथा जंग खाई रेलिंग व्यवस्था की बदहाली को बयां कर रही है।स्थानीय लोगों और वरिष्ठ नागरिकों के अनुसार, जब उतरौला तहसील भवन का निर्माण हुआ था, तभी यही द्वार से आम जनता और अधिकारियों के आने-जाने का प्रमुख मार्ग था। इसकी चौड़ाई इतनी अधिक थी कि दो गाड़ियां एक साथ निक ल सकती थीं। आजयह गेट पूरी तरह से बन्द कर दिया गया है। और इसके इर्द-गिर्द की दीवारें काई और दरारों से जर्जर हो चुकी हैं।
वर्तमान में जिस द्वार से तहसील में प्रवेश की अनुमति है, वह न केव ल अत्यन्त संकरा हुआ है, बल्कि उससे प्रति दिन आने-जाने वाले वकीलों, फरियादियों, दस्तावेज़ कार्य से पहुंचे नागरिकों और अधिका रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है। आए दिन जाम की स्थिति उत्पन्न होती रहती है, जिससे समय की बर्बादी बहुत होती रहती है, साथ ही आप सी विवाद की नौबत भी आ जाती है।इस मुख्य गेट के अन्दर की स्थिति और भी चिंता जनक है। तस्वीर में स्पष्ट देखा जा सकता है कि वहां एक विशाल वृक्ष दीवारों के बीच उग आया है, जिसकी डालियां अब रास्ता रोक रही हैं। नीचे पॉलीथीन प्लास्टिक की बोतलें, टूटी हुई ईंटें और अन्य कचरे का अम्बार लगा हुआ है। जहांकभी लोगों की चहल-पहल रहती थी, वहां अब गन्दगी और सन्नाटा सा पसरा हुआ है। नगर वासियों और तहसील में आने-जाने वालों में इस बदहाली को लेकर आक्रोश है। उनका कहना है कि यदि यह गेट पुनः चालू कर दिया जाए,और इसके आस- पास की सफाई व मरम्मत कर दी जाए, तो न केवल जाम की समस्या का समाधान होगा, बल्कि तहसील परिसर की गरिमा भी बढ़ जायेगी। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि अतिक्रमण हटाया जाए और गेट को आमजन के लिए खोला जाए। गेट के भीतर और बाहर की सफाई कराई की जाए, कचरा हटाया जाए। सुरक्षा के दृष्टि कोण से रेलिंग और दीवारों की मरम्मत की जाए। और एक स्थायी व्यवस्था भी बनाई जाए जिससे भविष्य में यह मार्ग फिर से उपेक्षित न हो।यह सब होते हुए भी अब तक स्थानीय प्रशा सन के द्वारा कोई ठोस क़दम नहीं उठाई गई है। जनता यह सवाल पूछ रही है, कि क्या प्रशासन को तहसील भवन की साख और नागरिकों की सुविधा से कोई सरोकार नहीं
उतरौला तहसील का यह मुख्य द्वार न केवल एक भौतिक संरचना है, बल्कि यह उस व्यवस्था का प्रतीक है जो नागरि कों को न्याय और सहू लियत देने के लिए यह बनी थी। इसकी दुर्दशा पर हमारे प्रशासनिक प्राथमिकताओं पर प्रश्न चिह्न लगा हुआ है। अब वक्त आ गया है कि जिम्मेदार लोग जागें और इस ऐतिहासिक द्वार को फिर से उसकी गरिमा को लौटाने का कष्ट करें।
हिन्दी संवाद न्यूज से
असगर अली की खबर
उतरौला बलरामपुर।
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