मुख्यमंत्री ने श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज के शहीदी दिवस के अवसर पर यहियागंज स्थित गुरुद्वारे में श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के समक्ष मत्था टेका
गुरु श्री तेग बहादुर जी महाराज की शहादत व बलिदान के लिए उनकी स्मृतियों को नमन किया, विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की
दिव्य गुरु परम्परा ने अपनी साधना व सामर्थ्य से सिख समाज सहित पूरे देश और सनातन धर्म को सुरक्षा प्रदान की : मुख्यमंत्री
गुरु परम्परा ने भक्ति परम्परा से ऊपर उठकर उस समय के तत्कालीन समाज को एक नई दिशा देने का कार्य किया
शहादत और बलिदान की यह परम्परा श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज से गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज तक पहुंचते-पहुंचते शक्ति का दिव्य पुंज बनकर सामने आयी
माता गुजरी, गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज व उनके चार साहिबज़ादों का संघर्ष और बलिदान हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत
हम सभी प्रधानमंत्री जी के आभारी, जिन्होंने 26 दिसम्बर की तिथि को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में आयोजित करने की घोषणा की
चार साहिबज़ादों की शहादत से आज की युवा पीढ़ी और बच्चों को परिचित कराना चाहिए, यह आदर्श आज देश व धर्म की सबसे बड़ी आवश्यकता, वर्तमान युवा पीढ़ी को यह बताने की आवश्यकता कि देश और धर्म के लिए उम्र बाधा नहीं होती
लखनऊ : 06 दिसम्बर, 2024
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज यहां यहियागंज स्थित गुरुद्वारा श्री तेग बहादुर साहिब जी में श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज के शहीदी दिवस के अवसर पर आयोजित शबद-कीर्तन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के समक्ष मत्था टेका। उन्होंने गुरु परम्परा के 9वें गुरु श्री तेग बहादुर जी महाराज की शहादत व बलिदान के लिए उनकी स्मृतियों को नमन करते हुए राज्य सरकार और प्रदेशवासियों की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम सभी को गौरव की अनुभूति होनी चाहिए कि दिव्य गुरु परम्परा का सान्निध्य सिख पंथ के अनुयायियों को प्राप्त हुआ। उन्होंने अपनी साधना व सामर्थ्य से न केवल सिख समाज को, बल्कि पूरे देश और सनातन धर्म को सुरक्षा प्रदान की तथा एक लम्बे समय तक उन्हें अभय भी प्रदान किया। गुरु परम्परा ने भक्ति परम्परा से ऊपर उठकर उस समय के तत्कालीन समाज को एक नई दिशा देने का कार्य किया। यह गुरु परम्परा निरन्तर आगे बढ़ती रही। शहादत और बलिदान की यह परम्परा श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज से गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज तक पहुंचते-पहुंचते शक्ति का दिव्य पुंज बनकर सामने आयी। गुरु परम्परा सनातन धर्म व भारत की रक्षा के लिए अपने आपको बलिदान करने से कभी नहीं चूकी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विदेशी आक्रांता बाबर के अत्याचार के खिलाफ गुरु नानक देव जी ने आवाज उठायी। गुरु तेग बहादुर जी महाराज ने उस समय के अत्याचार से पीड़ित कश्मीरी पण्डितों को शरण देकर सनातन धर्मालम्बियों को एक नया जीवन प्रदान किया। उन्होंने कभी भी देश और धर्म से हटकर किसी विदेशी आक्रांता के सामने अपना शीश नहीं झुकाया। इसके लिए श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज को अपनी शहादत देनी पड़ी। उन्होंने शहादत के पहले सनातन धर्म व इस देश की रक्षा के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के रूप में सशक्त शक्तिपुंज देश को दिया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि माता गुजरी, गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज व उनके चार साहिबज़ादों का संघर्ष और बलिदान हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है। हम सभी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आभारी हैं, जिन्होंने 26 दिसम्बर की तिथि को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में आयोजित करने की घोषणा की। यह आयोजन वर्ष 2020 से मुख्यमंत्री आवास में लगातार पूरी भव्यता के साथ आयोजित हो रहा है। वर्ष 2022 तथा वर्ष 2023 में 26 दिसम्बर को मुख्यमंत्री आवास पर ‘वीर बाल दिवस’ का आयोजन सम्पन्न हुआ। इससे पूर्व, वर्ष 2020 तथा वर्ष 2021 में चार साहिबज़ादों की शहादत को समर्पित ‘साहिबज़ादा दिवस’ का आयोजन मुख्यमंत्री आवास पर सम्पन्न हुआ था। चार साहिबज़ादों की शहादत से आज की युवा पीढ़ी और बच्चों को परिचित कराना चाहिए। यह आदर्श आज देश व धर्म की सबसे बड़ी आवश्यकता है। इस कार्यक्रम की श्रृंखला अनवरत आगे बढ़ती रहनी चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आगामी 26 दिसम्बर को मुख्यमंत्री आवास पर भव्यता के साथ ‘वीर बाल दिवस’ कार्यक्रम आयोजित होना चाहिए। यह हमारा इतिहास है, इस धरोहर को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। वर्तमान युवा पीढ़ी को यह बताने की आवश्यकता है कि देश और धर्म के लिए उम्र बाधा नहीं होती। 07 वर्ष, 09 वर्ष, 11 वर्ष और 14 वर्ष की उम्र में भी हम देश और धर्म के काम आ सकते हैं, यह कार्य गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के चार साहिबज़ादों ने किया था। ‘वीर बाल दिवस’ हमें चार साहिबज़ादों का स्मरण करने का अवसर प्रदान करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गुरु परम्परा में दिव्य विभूतियां थीं। उनकी साधना हम सबकी शक्ति का आधार है। आज भी देश और दुनिया में सिख स्वावलम्बन और आत्मनिर्भरता के साथ कार्य करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। यही गुरु का आशीर्वाद है। गुरु परम्परा के अनुसरण और उनके आशीर्वाद ने सबको आगे बढ़ने और खुशहाल जीवन जीने की नई प्रेरणा प्रदान की है। हमें गुरु परम्परा के प्रति श्रद्धा का भाव रखते हुए इस बारे में अपने आप को तैयार करना होगा। सिख समाज ने शहादत की लम्बी परम्परा देश व धर्म के सामने प्रस्तुत की है। यह हम सबको एक नई जीवन्तता प्रदान करता है। हमें उसका अनुसरण करना होगा। उसे अपने इतिहास व जीवन का हिस्सा बनाना होगा। यही हमारे और आने वाली पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक आधार हो सकता है। यदि हम उसका अनुसरण करेंगे, तो दुनिया की कोई ताकत हमारा अहित नहीं कर पाएगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महान सिख गुरुओं का इतिहास हम सबके जीवन में एक नई प्रेरणा प्रदान करता है। हमें निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। बांग्लादेश में जो आज हो रहा है और पाकिस्तान में इससे पहले जो कुछ हुआ वह किसी से छुपा नहीं है। ननकाना साहब हम सबसे कब तक दूर रहेगा। यह अधिकार हमें वापस मिलना ही चाहिए। अगर वर्ष 1947 में सूझबूझ दिखाई गई होती, तो सम्भवतः नगर कीर्तन यात्रा में आने वाला व्यवधान वहां पर देखने को नहीं मिलता। इतिहास की उन गलतियों के परिमार्जन का अवसर इतिहास हमें दे रहा है। इस परिमार्जन के लिए हम सबको अपने आप को तैयार करना होगा। हमें एकजुट होकर इस अभियान का हिस्सा बनना होगा। उन लोगों से सावधान होने की आवश्यकता है, जो हिंदुओं और सिखों के बीच खाई पैदा करना चाहते हैं। कुछ लोग अनावश्यक रूप से इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहे हैं।
इस अवसर पर कृषि राज्य मंत्री श्री बलदेव सिंह ओलख, गुरुद्वारा प्रबन्ध समिति के पदाधिकारीगण सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
-------
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know