माता और बच्चो के मृत्यु दर को रोकने के लिए जागरूकता पहली प्राथमिकता।

बलरामपुर। गर्भावस्था कोई बीमारी नहीं है, फिर भी इस दौरान गर्भवती को सबसे ज्यादा सचेत रहने की आवश्यकता है। गर्भावस्था को हल्के में लेना मातृ और शिशु की जान जोखिम में डाल सकता है। इस जोखिम को कम करने में प्रसव पूर्व (एएनसी) जांच बहुत अहम भूमिका निभाती है। गर्भवती और उनके परिजनों को प्रसव पूर्व सभी जांचों के महत्व को समझना चाहिए। इससे प्रसव के समय होने वाले खतरों के बारे में तो पता चलता ही है, साथ ही समय रहते चिकित्सकों व परिवार के सदस्यों के द्वारा इन खतरों का निराकरण किया जा सकता है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी बलरामपुर डॉ मुकेश कुमार रस्तोगी का।
सीएमओ का कहना है कि प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) के महत्व को गर्भवती और उनके परिजनों को समझना जरूरी है। गर्भवती होने की पुष्टि के बाद महिला को संबन्धित केंद्र पर अपना रजिस्ट्रेशन कराकर पहली एएनसी जरूर करानी चाहिए। इस समय उसको पहला टीडी का टीका भी लगता है। वही चार-पांच माह में दूसरी सम्पूर्ण जांच जरूर कराये और प्रसव के पहले सात-आठ माह में तीसरी सम्पूर्ण जांच जरूर कराये। इन जाँचों के जरिये गर्भावस्था के ख़तरे जैसे खून की कमी होना, मधुमेह की शिकायत, बच्चे की स्थिति के बारें में पता चलता है, जिसका समय रहते निस्तारण करना जरूरी है। वही अंतिम जांच में पता चल जाता है कि बच्चा सामान्य होगा या ऑपरेशन से, जिससे कि परिवार वाले पहले से ही प्रसव केंद्र चयनित कर लें, ताकि प्रसव के समय किसी प्रकार की समस्या न हो।


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