राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों की प्रबन्धकीय कार्यशैली सभी सरकारी, गैर सरकारी विभागों के लिए अनुकरणीय तथा यह मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम सभी को प्रेरणा दे रहा है।
आज पौष पूर्णिमा पर सभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालकों को नमन एवं प्रणाम

डा0 मुरली धर सिंह (शास्त्री)
एम0एस0सी0, एल0एल0वी0 विद्यावाचस्पति (पी0सी0एस0)
उप निदेशक सूचना, अयोध्या धाम/प्रभारी मीडिया सेंटर लोक भवन लखनऊ

मो0-7080510637, 9453005405

25 जनवरी 2024 अयोध्या धाम। श्री राम जन्मभूमि मंदिर में अपने जन्मस्थान पर श्रीरामलला जी 22 जनवरी 2024 को विराजमान हो गये इसके पीछे लगभग 500 साल का संघर्षपूर्ण इतिहास है साथ ही साथ मुझे इस समारोह में मीडिया के प्रबन्धक होने के कारण जाने का और अपनी प्रमुख भूमिका निभाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ इसके समारोह की तैयारी को नजदीक से समझने और देखने का मौका मिला इस कार्यक्रम को मूर्तरूप देने के लिए अद्वितीय भूमिका निभाने वालो में डा0 बलिराम हेडगेवार (1889-1940) द्वारा स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन के राष्ट्रभक्त स्वयंसेवक कार्यकर्ता है और इस संगठन की स्थापना विजयदशमी 1925 को नागपुर में हुई थी, जो महाराष्ट्र का प्रमुख प्रशासनिक न्यायिक एवं सांस्कृतिक आदि महत्व का प्रमुख केन्द्र है। यह स्थान विश्व के लिए अनेक महापुरुष दिये है जो विश्व के पटल पर अमर है। साथ ही राष्ट्रीय सेवक संघ के अनुसांगिक संगठन विश्व हिन्दू परिषद का है इसकी स्थापना 29 अगस्त 1964 को मुंबई में हुई थी यह भी महाराष्ट्र राज्य की राजधानी एवं भारत की आर्थिक राजधानी भी है। दोनों संगठनों का उद्देश्य हिन्दू संगठन को संगठित करना। हिन्दू धर्म की रक्षा करना समाज की सेवा करना था। इन संगठनों की लगभग देश और विदेश में 11 हजार से ज्यादा सेवा की इकाईयां चल रही है जो समाज के सभी वगो के लिए और सभी सम्प्रदायों में मानव मूल्यों की स्थापना के लिए कार्य कर रही है, इन संगठनों में अनेक महापुरूष जुड़े है तथा इन संगठनों ने अनेक महापुरूषों को दिया है। विश्व हिन्दू परिषद द्वारा विश्वासों और परम्पराओं की रक्षा के लिए श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन, श्री अमरनाथ यात्रा, श्रीराम सेतु, श्री गंगा रक्षा, गोरक्षा आदि बिन्दुओं पर कार्य किया गया। जिसमें भारत के सभी संत परम्पराओं के संत, गृहस्थ एवं धर्माचार्य, स्वयंसेवी संगठन जुड़े है जिसका परिणाम राम जन्मभूमि आंदोलन वर्ष 1989 में शुरू हुआ यह आंदोलन के परिणाम स्वरूप आम जनमानस में जागृति आयी तथा लम्बी न्यायिक प्रक्रिया के बाद 9 नवम्बर 2019 को मा0 सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने 1024 पृष्ठ में जजमेंट सुनाया। जजमेंट के बाद दिनांक 5 अगस्त 2020 को देश के यशस्वी प्रधानमंत्री मा0 श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा श्री रामलला मंदिर का भूमिपूजन/शिलान्यास किया गया और इसका 22 जनवरी 2024 को राष्ट्र को प्राण प्रतिष्ठा के साथ समर्पित भी किया गया। उस समय भी साक्षी के रूप में संतगण तथा प्रधानमंत्री जी के अलावा राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी तथा इस मंदिर तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष पूज्य नृत्यगोपाल दास जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रमुख डा0 मोहन भागवत जी प्रमुख थे। ये दोनों कार्यक्रमों जैसे-शिलान्यास एवं प्राण प्रतिष्ठा समारोह में यह महापुरूष गण थे। इस कार्यक्रम का संचालन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव श्री चम्पत राय जी ने ही किया था। उल्लेखनीय है कि भारतीय संसद द्वारा भारतीय संसद में मा0 नरेन्द्र मोदी जी ने 5 फरवरी 2020 को लोकसभा में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पर चर्चा के दौरान श्री राम मंदिर को बनाने के लिए ट्रस्ट की घोषणा की थी जिस ट्रस्ट का नाम श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र बताया था तथा इसमें कुल 15 सदस्यों की संख्या बतायी थी। इस ट्रस्ट के बारे में गृहमंत्री श्री अमित शाह ने बताया था कि इस ट्रस्ट में शामिल होने वालो में सर्वोच्च न्यायालय पद्मश्री के0 पराशरण, विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र, डा0 अनिल मिश्र, कामेश्वर चौपाल, महंत दिनेन्द्र दास तथा अध्यक्ष पूज्य श्री नृत्य गोपाल दास, जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज, जगद्गुरु माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज, युगपुरुष परमानंद जी महाराज, स्वामी गोविंद देव गिरी महाराज कोषाध्यक्ष तथा श्री चम्पत राय जी महासचिव होंगे। इस न्यास ने इसके निर्माण कार्यो को मा0 प्रधानमंत्री जी के प्रधान सचिव रह चुके श्री नृपेन्द्र मिश्रा जी को निर्माण समिति का प्रमुख बनाया गया था। इस न्यास का पंजीकृत कार्यालय आर-20 ग्रेटर कैलाश पार्ट-1 नई दिल्ली तथा इसका क्षेत्र अयोध्या कार्य रामजन्मभूमि सम्बंधी कार्य सौपे गये थे। इस ट्रस्ट में केन्द्रीय एवं राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी को तथा अयोध्या के जिलाधिकारी को पदेन ट्रस्ट का सदस्य भी बनाया गया था। इस न्यास क्षेत्र ने लगातार अपने काम, अपने टीम भावना से काम करके भगवान रामलला के मंदिर को तैयार किया तथा 22 जनवरी 2024 के शुभ घड़ी में आम लोगों को समर्पित किया।
इस विशेष बिन्दुओं को मेरा लिखने का विशेष उद्देश्य ये रहा कि मेरा रामजन्मभूमि आंदोलन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से 1982 से तथा विश्व हिन्दू परिषद से 1991 से जुड़ा रहा तथा मैं पहले केन्द्र सरकार में सूचना प्रसारण मंत्रालय में एवं वर्तमान में राज्य सरकार में सूचना विभाग में एक अधिकारी था। जो धीरे-धीरे सेवाकाल में बढ़ते बढ़ते सूचना विभाग का वरिष्ठ अधिकारी बन गया और आंदेलन को मैने बहुत नजदीक से देखा चाहे अक्टूबर 1990 में आडवाणी जी की रथयात्रा को रोकने को हो या राज्य सरकार द्वारा रामभक्तों पर कार्यवाही का हो एवं दिसम्बर 1992 में अयोध्या की घटना का हो तथा अयोध्या धाम मेें श्री रामलला के चरणों में जुलाई 2018 में उपनिदेशक सूचना के पद पर तैनाती का हो वह मैने 22 जनवरी 2024 तक की घटनाओं को देखा जिसमें प्रमुख घटनायें श्रीराम मंदिर के विषय में 9 नवम्बर 2019 को आने वाले सु्रपीम कोर्ट के निर्णय का हो तथा 5 अगस्त 2020 के मंदिर के भूमिपूजन एवं शिलान्यास का हो साथ में अयोध्या के सातों दीपोत्सवों का हो एवं इस माह तक पूरी होने वाली राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का इसमें मीडिया प्रबन्धन को देखा तथा इस बार 22 जनवरी 2024 को मुझे सरकारी कार्यो के लिए कार्यक्रम का सजीव प्रसारण के लिए दूरदर्शन के साथ समन्वय करने के रूप में कार्य किया जो अपने अन्य लोगों की तरह अपने धर्मपत्नी के साथ पहंुचा। लगभग 7 बजे परिसर में प्रवेश हुआ तथा रामलला के चरणो में माथा टेका एवं 7 बजे परिसर से निकला। इस दौरान विशेष बात है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में मैं संघ के चैथे संघसरचालक प्रो0 राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैय्या) जी के साथ जुड़ा था संघ की शाखाओं के अलावा प्रशिक्षण एवं बौद्विकी में भाग लिया था। पर इस बार पहली बार मुझे राष्ट्रीय स्वयंसंघ के के कार्यकर्ताओं द्वारा एक अनुशासनबद्व होकर कार्य करना किसी के चेहरे पर थकान न होना, मोबाइलरहित रामजन्मभूमि परिसर में दाखिल होना, परिसर में आमंत्रित व्यक्तियों के बने हुये ब्लाकों में एक परमसेवक के रूप में कार्य करना जैसे उनको चरणपादुका रखवाना, बैठने का स्थान बताना, पानी देना, लोगों को नाश्ता देना, लोगों को दोपहर का लंच पाकेट देना तथा नाश्ते और लंच के बाद खाली डिब्बों को एकत्रित करना, कार्यक्रम के बाद भक्तों को मंदिर में ले जाके दर्शन कराना तथा सभी भक्तों को पंक्तिबद्व होकर मर्यादा में रहते हुये प्रसाद वितरण कराना चाहते है उनको सम्मानित थैले में प्रसाद देना (प्रसाद का नमूना संलग्न) और सभी के खोये हुये सामान को अपने गु्रप के माध्यम से समन्वय करके घोषणा करके उस व्यक्ति को पहुंचाना यह अनोखा कार्य मैंने देखा। मैं देखता हूं कि सरकारी तंत्र के लोग लगभग 50 से 60 प्रतिशत केवल दिखाते है कि वह कार्य करते है पर 30 प्रतिशत लोग समर्पित भाव से कार्य करते है उसमें भी 10 प्रतिशत का लोगों का जवाब भी नहीं होता, क्योंकि वह पूर्ण रूप समर्पित होकर कार्य करते है। लेकिन यदि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों, विद्यार्थी परिषद के स्वयंसेवकों को मैने 100 प्रतिशत समर्पित होकर अपनत्व भाव से राष्ट्र के लिए कार्य करना यह बहुत ही सराहनीय एवं वंदनीय सेवा है। मैं इस सेवा के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक संघचालक डा0 हेडगेवार जी, डा0 गोलवलकर जी (गुरुजी) श्री बाला साहब, श्री देवरस जी, प्रो0 राजेन्द्र सिंह जी, डा0 सुदर्शन जी एवं वर्तमान संघ सरचालक डा0 मोहन राव भागवत जी को नमन करता हूं कि ऐसा संगठन बनाया जो मानवता की सेवा को झकझोर देता है तथा जिस कार्य में लगता है उसको पूरा करता है और मेरा भी जीवन ऐसे ही संगठन को पूर्ण रूप से आज पौष पूर्णिमा के दिन समर्पित होता है मेरा तन मन धन सभी राष्ट्र को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समर्पित तथा इसके स्वयंसेवकों को कोई भी विचार या सहयोग की आवश्यकता होगी तो हमसे कभी भी सम्पर्क कर या बात कर सकते है। मेरा प्रवास अयोध्या के साथ साथ लखनऊ, वृन्दावन मथुरा, बिहार के बोधगया बक्सर क्षेत्रो में विशेष रूप से रहता है एवं रहेगा। मैं आज इस लेख को पूर्ण रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रबंधन के लिए स्वयंसेवकों को समर्पित करता हूं और इस संघ को स्थापित करने वाले महापुरूषों को प्रणाम करता हूं क्योंकि यदि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कारण ही हम श्रीराम मंदिर देख रहे है।
जय श्रीराम, जय हिन्द जय भारत

नोट-इस विशेष लेख के लेखक उत्तर प्रदेश सरकार में उप सूचना निदेशक अयोध्या मण्डल, अयोध्या धाम है तथा पूर्व में वाराणसी, मथुरा, प्रयाग, हरिद्वार में जिला सूचना अधिकारी के पद पर जनपदों में तैनात है इसके अलावा उत्तर प्रदेश के सूचना निदेशालय, विधानसभा, विधान परिषद, न्याय विभाग तथा अन्य विभागों के भी सूचना अधिकारी रहे है। इनकी शिक्षा वाराणसी, प्रयाग, भोपाल आदि महत्वपूर्ण स्थानों पर हुई है इस लेख में लेखक के अपने विचार है इसको भारतीय संविधान 1950 में प्रदत्त अधिकारों के तहत लिखा गया है तथा तथ्यों की प्रामाणिकता धर्म शास्त्रों एवं प्रमाणिक अभिलेखों पर आधारित है कोई भी व्यक्ति उल्लेखित बिन्दुओं पर अयोध्या में या काशी में शास्त्रोक्त परम्परा के अनुसार संवाद कर सकता है। यह लेख भगवान शंकर, भगवान श्रीराम एवं गुरु हनुमान जी की कृपा से तथा ईश्वरीय आदेश से लिखा गया है और सबको प्रणाम, सबको नमन और अपने-अपने प्रचार संसाधन में उचित स्थान देने की कृपा करें, इनके द्वारा ‘अयोध्या धाम आरेछा धाम काशी धाम यथार्थ गाथा‘ नामक पुस्तक लिखा जा चुका है, जिसमें विशेष उल्लेख है तथा अगली पुस्तक आने वाली है।            
श्री राम आश्रम/साधनाश्रम, कनक भवन रोड अयोध्या।

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