राजनीति राष्ट्रसेवा का सर्वोत्तम माध्यम - एमलसी पवन सिंह चौहान

राजनीति को समाज के प्रबुद्ध जनों द्वारा अलग-अलग नजरिए से देखा जाता है| कुछ समय पहले तक लोग राजनीतिज्ञों को केवल सत्ता सुख का इच्छुक मानते थे, लेकिन बहुत से लोग राजनीति के माध्यम से समाज के सभी वर्गों के उत्थान हेतु सदैव कृत संकल्पित हैं|
 मैं ऐसे सैकड़ों बड़े राजनेताओं को निजी तौर पर जानता हूँ, जिन्होंने अपने क्षेत्र में समृद्धि में मुकाम हासिल किए हैं लेकिन उसके बाद उन्होंने राजनीति के माध्यम से सेवा करने का विकल्प चुना| इस सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता कि किसी भी देश का नेतृत्व ही उसे सम्मान, समृद्धि, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा दिलाने में सक्षम है| आप निजी तौर पर कितने भी सक्षम क्यों ना हो, लेकिन अगर शासन सत्ता सही हाथों में ना हो तो आपकी निजी समृद्धि भी क्षण भर में नष्ट हो सकती हैं|
 अफगानिस्तान, इराक ऐसे बहुत सारे देशों में हम समाचार के माध्यम से हमेशा देखते सुनते रहते हैं कि वहाँ के प्रबुद्ध नागरिक  सब कुछ छोड़कर किस तरह से दूसरे देशों की तरफ पलायन कर रहे हैं, लेकिन जिस देश की नेतृत्व क्षमता अच्छी है, वहां संपन्न और प्रबुद्धजनों को पलायन करने की आवश्यकता तो नहीं पड़ती, बल्कि वहाँ देश के गरीब, दलित, शोषित वर्ग को भी सुरक्षा, स्वाभिमान के साथ अपन जीवन-यापन करने का अवसर मिलता है|
 अभी हाल में ही हम लोगों ने देखा की यूक्रेन और रूस युद्ध में फंसे भारतीय छात्रों को भारत सरकार की कुशल नेतृत्व क्षमता के कारण सम्मान के साथ देश वापस आने का सौभाग्य मिला| मुझे नहीं लगता कि इससे पहले कभी ऐसा हुआ हो कि एक देश के छात्रों के देश वापसी हेतु दो शत्रु देशों ने कई घंटे के लिए युद्ध विराम कर दिया हो| जब नेतृत्व क्षमता और राजनीति में बैठे लोग त्यागी, तपस्वी एवं राष्ट्र के लिए समर्पित रहने वाले हों तो ऐसे देश के नागरिकों का संपूर्ण विश्व सम्मान करता है| हिंदुस्तान ऐसा सौभाग्यशाली राष्ट्र रहा है जहां अधिकतर समय में हमारे यहां के राजा या राष्ट्राध्यक्ष राष्ट्र के लिए समर्पित भाव वाले ही रहे हैं, शायद इसीलिए हम लोगों ने उनकी तुलना राजर्षि और जो शासन व्यवस्था रही है उस व्यवस्था को 'रामराज्य'  कहते हैं|
   रामराज्य के बारे में श्री रामचरितमानस में गोस्वामी श्री तुलसीदास जी ने बहुत ही सुंदर व्याख्या की है

दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा||
सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती||
चारिउ चरन धर्म जग माहीं। पूरि रहा सपनेहुँ अघ नाहीं||
राम भगति रत नर अरु नारी। सकल परम गति के अधिकारी||
अल्पमृत्यु नहिं कवनिउ पीरा। सब सुंदर सब बिरुज सरीरा||
नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना। नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना||

मैं अपने अनुभव से कह सकता हूँ जिस पार्टी से मैं ताल्लुक रखता हूँ वहां हजारों राजनीतिज्ञ ऐसे हैं, जिन्होंने गृहस्थ जीवन का त्याग करके अपने सम्पूर्ण जीवन को राजनीति को समर्पित कर दिया है| उनके अंदर अपने निजी स्वार्थ नाम की जरा भी भावनाएं ना होकर राष्ट्र उत्थान हेतु सदैव चिंतन करना है| हमारे देश में वर्तमान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे राष्ट्र प्रेमी संगठन, जिनमें करोड़ों कार्यकर्ता जो बाल्यावस्था से ही संघ के विभिन्न प्रकल्पों को अपना जीवन अर्पित करते हैं एवं लाखों ऐसे कार्यकर्ता जिन्होंने पूर्णकालिक जीवन राष्ट्र को देकर केवल सेवाभाव के लिए राजनीति को चुना है|
 हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी जी एवं हमारे मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी जैसे व्यक्तित्व राजनीति को सेवा का माध्यम मानते हैं|
शायद हमें लगता है की जो लोग राजनीति में हैं, वह बहुत मौज में हैं, उनके पास सत्ता है, ताकत है, पैसा है, लेकिन शायद हम यह नहीं सोचते कि जिन्हें आप पूरी संपन्नता से साथ देख रहे हैं वह केवल राजनीति पर ही निर्भर नहीं है| मैं स्वयं अपने अनुभव से कह सकता हूँ कि मेरे हजारों साथी जो राजनीति में हैं वह अपनी जीविका के लिए दूसरे साधनों पर निर्भर हैं ना की राजनीति पर| वो राजनीति के माध्यम से अपनी आमदनी का बहुत सारा हिस्सा लोगों की सेवा में मैं दान करते हैं| 
जब आप राजनीति में होते हैं तो आपको बहुत चीजों का ख्याल रखना होता है जब भी आप किसी जनपद, प्रदेश, राष्ट्र का नेतृत्व करते हैं तो आपको एक ख्याल रखना होता है कि आपको फॉलो करने वाले हजारों, लाखों, करोड़ों शुभचिंतक आपके चरित्र, आपके व्यवहार का अनुसरण करते हैं| यदि नेता का चरित्र, व्यवहार ठीक ना हो तो उनके सहारे करोड़ों लोग पतन के भागीदार बनेंगे|
श्रीमद्भगवद्गीता में बड़ा सुंदर श्लोक है:

यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते।।3:21

अर्थ: श्रेष्ठ पुरुष जैसा आचरण करते हैं, सामान्य पुरुष भी वैसा ही आचरण करने लगते हैं। श्रेष्ठ पुरुष जिस कर्म को करता है, उसी को आदर्श मानकर लोग उसका अनुसरण करते हैं।

मैं आवाह्न करता हूं उन सभी युवाओं एवं महिलाओं का एवं स्वयं को प्रबुद्ध समझने वाले विभूतियों का या आप राजनीति के माध्यम से समाज की राष्ट्र की सेवा करें एवं राजनीति में अच्छे लोगों की संख्या जितनी अधिक होगी देश का देश के नागरिकों का विश्वास एवं राष्ट्र का उत्थान इतनी तीव्र गति से होगा|

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