जौनपुर। वर्तमान शिक्षा जागरूकता व चुनौती -  आशुतोष त्रिपाठी

जौनपुर। शिक्षा का वास्तविक अर्थ ‘सीख’ है, जिससे मानव का विवके जागृत होता है,लेकिन वर्तमान में शिक्षा का व्यापारी करण हो गया है। समाज का बड़ा वर्ग धन उपार्जन शिक्षा का व्यापारी करण मैं सभी सलिप्त है उक्त प्रकरण पर भौतिकी प्रवक्ता आशुतोष त्रिपाठी ने शिक्षा पर जन-जन की सहभागिता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि  शिक्षा का उद्देश्य सच्चाई प्रकट करना तथा व्यावहारिक जीवन में हर प्रकार की सहायता प्रदान करना है।

महात्मा गांधी के मतानुसार सच्ची शिक्षा पुस्तकें पढ़ने में नहीं अपितु चरित्र संगठन में है। मानव को उसके उच्चतम पुरूषार्थ को सिद्ध कर लेने के योग्य बनाना ही शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए। व्यक्ति को ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जो उसके मन में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना जागृत करने वाली हो एवं स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से भारत सरकार ने निरन्तर शिक्षा पद्धति में सुधार के प्रयत्न किए तथा इस दूषित शिक्षा प्रणाली पर अनेक चर्चायें और विचार-विमर्श हुए। कई प्रकार के आयोग बैठाये गये और उनकी संस्तुति के अनुरूप समय-समय पर अनेक परिर्वतन हुए, लेकिन मूल ढांचे में विशेष परिवर्तन नहीं हो पाया और शिक्षा का सही उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया। आज भी हमारी शिक्षा उन्हें विविध विषयों का सैद्धान्तिक ज्ञान तो देती है, पर उन्हें किसी प्रकार स्वावलम्बी नहीं बना पाती है। किसी देश का निर्माण हर व्यक्ति के शिक्षित होने पर ही संभव है।

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