मोदी-योगी की डबल इंजन सरकार में पूरा हो रहा है राम मंदिर निर्माण का


सपना


महिलाओं ने मोदी को राम और योगी को बताया लक्ष्मण


पूर्वजों का बलिदान नहीं गया जाया


6 अगस्त, मेरठ।

राम जन्मभूमि भूमि पूजन की दूसरी वर्षगांठ का जश्न देशभर में दूसरे दिन

भी बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। लोग आपस में एक दूसरे को मिठाई

खिलाकर अपनी खुशी का इजहार कर रहे हैं। मेरठ के श्रद्धापूरी में भी महिलाओं

ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई और खुशी मनाई। श्रद्दापुरी फेस वन की रेखा

वैश्य का कहना है कि जिस राम मंदिर का निर्माण करवाने के लिए हमारे पूर्वज

आंदोलन करते हुए बलिदान हो गए उस राम मंदिर का निर्माण आज मोदी और

योगी की डबल इंजन सरकार के चलते संभव होने जा रहा है। उनका कहना है

कि भगवान ने मोदी को राम और योगी को लक्ष्मण बनाकर इस धरती पर भेजा

है इसलिए यह दोनों मिलकर लोगों का कल्याण कर रहे हैं।

राजगोपाल ने बताया मंदिर निर्माण आंदोलन का हाल

राम मंदिर निर्माण आंदोलन में कार सेवक के रूप में हिस्सा लेने वाले

राजगोपाल कात्यायन कहते हैं कि उन्होंने आंदोलन में हिस्सा जरूर लिया था,

लेकिन उन दिनों की परिस्थितियां देखते हुए उम्मीद नहीं थी की वो राम मंदिर

निर्माण कार्य अपनी आंखों से देख पाएंगे क्योंकि वह मंजर ही ऐसा था। उनको

उस आंदोलन से अपने घर वापस आने की उम्मीद तक नहीं थी।

हाथ टूटा था मगर हौसला नहीं

राजगोपाल का कहना है कि मेरठ से कई टुकड़ियों में कारसेवक इस

आंदोलन में गए थे। उस समय मेरा हाथ टूटा हुआ था और ऑपरेशन के बाद रॉड

डाली हुई थी, लेकिन फिर भी मेरा हौसला नहीं टूटा। मंदिर निर्माण के लिए

आंदोलन में भाग लेने मैं फिर भी गया। एक स्थान पर चेकिंग के दौरान मेटल

डिटेक्टर से चेक करते हुए मुझे प्रवेश करने से रोक दिया गया और कहा गया कि

तुम्हारे हाथ में कुछ हथियार छिपा है इसको पहले निकाल कर आओ, लेकिन

फिर भी मैंने उनसे काफी आग्रह किया और कहा कि मेरा हाथ टूट जाने के कारण

ऑपरेशन करके रॉड डाली गई है अगर इससे आपको कोई परेशानी है तो आप

इसको वापस ऑपरेशन करके निकाल सकते हैं। मैं इस आंदोलन में शामिल होने


से नहीं रुकूंगा। वहीं कुछ देर जद्दोजहद के बाद राज गोपाल को अधिकारियों

द्वारा आंदोलन में शामिल होने की अनुमति दे दी गई।

तत्कालीन प्रदेश सरकार ने कराया था भीषण नरसंहार

देखते देखते आंदोलन हंगामे और बवाल में तब्दील होने लगा। राज गोपाल

का कहा है कि तत्कालीन सरकार ने पुलिस के भेष में अपने लोगों को वहां भेजा

और कारसेवकों पर गोलियां चलवाई। जिसके बाद उनको सरयू नदी में फेंक

दिया गया। इतना बड़ा नरसंहार देखने के बाद राजगोपाल उम्मीद छोड़ चुके थे

कि वह अपने घर वापस जाएंगे या फिर राम मंदिर निर्माण का दृश्य अपने

जीवन काल में देख पाएंगे।

मोदी और योगी सरकार में साकार हुआ राम मंदिर निर्माण का सपना

अब जब केंद्र में मोदी और प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद हालात

बदले। राम मंदिर निर्माण का फैसला होने के बाद राम जन्मभूमि पर भूमि पूजन

किया गया तो अब उनको लगता है कि आंदोलन में बलिदान हुए कारसेवकों का

बलिदान जाया नहीं गया बल्कि इस राम मंदिर में उन बलिदानियों की माटी की

सुगंध भी मिल गई है। राजगोपाल का कहना है कि अब जब 2024 तक राम

मंदिर निर्माण हो जाएगा तो वह अपने जीवित रहते मंदिर की भव्यता देख

सकेंगे।

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