बलरामपुर/आज योग दिवस के अवसर पर  योग की चर्चा प्रासंगिक है ।वास्तव में हमारी भारतीय संस्कृति भोगवादी न होकर योगवादी रही है ।
छह आस्तिक दर्शनों में योग का महत्त्वपूर्ण स्थान है । इसके प्रणेता पतंजलि ने चित्तवृत्ति के निरोध को योग कहा है ।योग के अभ्यास के लिए शरीर, प्राण और मन का कठोर संयम करना पड़ता है ।योग में मुख्य बात मानसिक अनुशासन है ।यम,नियम,आसन, प्राणायाम,प्रत्याहार,धारणा,ध्यान और समाधि योग के आठ अंग हैं । अहिंसा,सत्य,अस्तेय,ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह को यम कहा जाता है । शौच,सन्तोष,तप,स्वाध्याय और ईश्रर प्रणिधान को नियम कहते हैं । शरीर को सुखपूर्वक एक मुद्रा में स्थिर करना आसन है ।आसन के अनेक प्रकार हैं । आसनों के अभ्यास से शरीर स्वस्थ बना रहता है । आजकल आसन को ही कुछ लोग सम्पूर्ण योग समझ लेते हैं ।आसन से शरीर  का नियन्त्रण होता है । श्वास प्रश्वास की स्वाभाविक क्रिया का नियन्त्रण करके उसमें नियमित क्रम लाना प्राणायाम  है ।पूरक,कुम्भक और रेचक के रूप में प्राणायाम के तीन भाग होते हैं ।पूरक में गहरी सांस ली जाती है ।कुम्भक में फेफड़ों में भरी हुई वायु को कुछ समय तक रोका जाता है । रेचक में उस वायु को धीरे धीरे बाहर निकाला जाता है ।पूरक,कुम्भक और रेचक के समय में  एक,चार और दो का अनुपात होना चाहिए । प्राण के नियन्त्रण से मन का नियन्त्रण होता है । प्राणायाम सबसे बड़ा तप है । इससे मन के मलों का क्षय हो जाता है और ज्ञान का उदय होता है । मन को बाह्य वस्तुओं से हटाकर इन्द्रियों को उनसे हटा देना प्रत्याहार है ।ये यम,नियम,आसन, प्राणायाम और प्रत्याहार  योग के बहिरंग साधन हैं जबकि धारणा,ध्यान और समाधि योग के अंतरंग साधन हैं । चित्त को किसी एक वस्तु में केन्द्रित करना धारणा है । प्रत्याहार इन्द्रियों का नियन्त्रण करता है जबकि  धारणा से चित्त का नियन्त्रण होता है । किसी  वस्तु का ऐसा अविच्छिन्न ज्ञान  जिसकी धारा अन्य वस्तु के ज्ञान से विच्छिन्न न हो,ध्यान कहा जाता है । समाधि में केवल ध्येय वस्तु की ही चेतना रहती है ।
 जब समाधि की अवस्था दीर्घ काल तक रहती है तो इसे सम्प्रज्ञात समाधि कहा जाता है । जब अर्थ का भी प्रकाश नहीं रहता तब इसे असम्प्रज्ञात समाधि कहा जाता है ।
 अष्टांग योग के अनुष्ठान  से चित्त के विकार नष्ट हो जाते हैं और तत्त्व ज्ञान प्राप्त होता है । गीता में कर्मों में कुशलता और समता को योग कहा गया है ।
उमेश चंद्र तिवारी
हिन्दीसंवाद न्यूज़
बलरामपुर

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