स्कूल के दिन- आन्या (छात्र)

जौनपुर। ये पल न जाने हमसे क्यूं दूर जा रहे है, महकती यादो को भी तन्हा किए जा रहे है।

ये दर्द हमे समझदारियो से मिला है, स्कूल न जाने की पीड़ा कही अब जाकर पता चला है।
अब स्कूल से बिछड़ने की जब बारी आयी है, मानो जीवन मे काली घटाएँ छायी है।
काश मिल जाते फिर कुछ वक्त इस घड़ी के, बीत जाते जीवन के कुछ लम्हे हसी-खुशी से।
क्लास मे मस्ती भरी सबकी बातें अब बहुत याद आ रहे है, ये पल न जाने हमसे क्यूं दूर जा रहे है।
ये रंग-बिरंगे बीते पल अब न जाने कब वापस आयेंगे?, फिर से मिला साथ अगर तो इस पल को दोहराएंगे।

                                       *आन्या, जौनपुर*

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