मजदूर

 सुन मेरे भाई 
 ओ 'कॉमरेड'
 साथी मजदूर !

 मैं भी हूँ देख
 बेबस बेकस
 मजबूर मजदूर

 जीवन कांटे में
 मरने को फंसी
 मछली सा मजदूर!

 दुनिया पूँछती है
 कौन से काम
 करते हैं मजदूर ?

 करें एलान अब
 चल तोड़ें कुछ
 दुनिया का गुरूर

 कि जहाँ में नहीं 
 कोई काम जो 
 होते बिन मजदूर।

 भभकते नालों में 
 जीवन साफ़ करते
 दम तोड़ते मजदूर।

 गांव-घर छोड़ें 
 सब नाते तोड़ें
 पत्थर हुए मजदूर।

 खुद को बेचने
 बाजार में खड़े
 'बेशकीमती' मजदूर।

 दहकती गर्मी को 
 पसीने से बुझाते
 तपते-जलते मजदूर!

 सर्दी की गलन में
 आकाश का कंबल
 ओढ़े सोते मजदूर ।

  भूखे पेट से काम
  करने को लें 'दम'
  बेहाल बेदम मजदूर !

  पेट की आग को
  दम-दारू से 
  बुझाये जाते मजदूर ।
  
   सड़क से शुरू
   सड़क पे ख़त्म
   ये कारवाँ-ए-मजदूर ।

   कुत्तों सा जीवन
   कुत्तों संग बीते
   कहलाते 'आदमी' ज़रूर !
   
   जीवन के रोग में
   बस मौत की 
   दवा करते मजदूर ।

   सड़ते पिसते 
   घिसते-पिटते
   जीते-मरते मजदूर।

   मौत इक नेमत
   ज़िन्दगी लानत
   आह रे मजदूर!
 
   इमारतें और जंगें 
   खाईं और खायेंगीं 
   कितने? गिनो मजदूर।

   तदबीर के नहीं 
   तकदीर के मारे 
   हैं हुज़ूर हम मजदूर।

   सब धर्म-ज्ञान 
   गीता बाइबल कुरान 
   का करें क्या मजदूर ?

   'जॉन' के मिलने तक
    बढ़ई बने रहते
   "ईसा" हैं - मजदूर !

   नवासे की शहादत
   जान भी बेबस 
   'मुहम्मद' हैं-मजदूर !
 
   समाज हित गोवर्धन 
   उंगली पर उठाते 
   'कृष्ण' हैं मजदूर !

   'वह' सब में है 
   जब कहते हो 
   हंसते हैं मजदूर !

   यह जहां सारा 
   बनाया ख़ुदा ने
   या बनाते मजदूर?

- अंकुर अवस्थी

#worldlabourday 

#मजदूर 

Ankur Awasthi 

#अंकुर

#ankurkikavitamajdoor

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