देख सुदामा की दीन दशा करुणा करके करुणानिधि रोये

 देवरीगढ़ी की भागवत कथा में सुदामा प्रसंग पर उमड़ा भक्तो का सैलाब

देवेन्द्रनगर:- देख सुदामा की दीन दशा करुणा करके करुणा निधि रोये, पानी परात को हाथ छुओ नहीं नैनन के जल से पग धोये। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बाल सखा सुदामा की हालत जब देखी तो उनकी आंखों से आंसुओं की धार इस कदर बह निकली कि दरबाजे पर खड़े निर्धन ब्राह्मण सुदामा के पैर धोने के लिए जो बर्तन लाये गए थे। उन्हें बिना छुए ही भगवान कृष्ण ने अपनी आंखों के आंसुओं से ही मित्र सुदामा के पैर धो दिए। जब द्वारका के लोगों ने सच्ची मित्रता का नजारा देखा तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा।उक्त उदगार देवरीगढ़ी निवासी शासकीय ठेकेदार पण्डित गणेश त्रिपाठी के निज निवास देवेन्द्रनगर में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत महापुराण सप्ताह कथा ज्ञान यज्ञ में सोमवार को कथा सप्तमी के समापन दिवस पर कथा मर्मज्ञ परम् पूज्य श्रीमद गुरुदेव भगवान श्री साकेत बिहारी शरण जू महाराज जी महंत श्री सन्तकुंज आश्रम बर्दाडीह सतना के मुखारविंद से सुदामा चरित्र प्रसंग पर व्यख्यान दिए। इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा चरित्र की लीला का मंचन कलाकारों द्वारा किया गया एवं मनमोहक सजीव झांकी सजाई गई। भगवान कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को दो मुटठी चावल के बदले में दो लोकों का स्वामी पल भर में बना दिया। महाराज जी ने बताया की मित्रता कृष्ण और सुदामा जैसी होनी चाहिए। भगवान कृष्ण ने सुदामा के प्रति अपनी मित्रता साबित करके मित्रता के रिश्ते और सुदामा की भक्ति भावना की लाज रखते हुए सभी को एक साथ दर्शन दिए। इस तरीके से श्रीमद्भागवत कथा का सोमवार को सुदामा चरित के प्रसंग से जुड़ी कथा एवं हवन पूर्णाहुति के साथ समापन हो गया। कथा को सुनने के लिए सैंकड़ो की संख्या में महिला एवं पुरुष श्रद्धालुओं ने कथा का रसास्वादन किया। कथा स्थल से कथा व्यास जी द्वारा एक साथ भक्तजनों को श्रीमद्भागवत से श्रोताओं का मन मोह लिया। तथा आज मंगलवार 25 जनवरी को कथा स्थल में  ब्राह्मण भोजन एवं विशाल भण्डारा सम्पन्न होगा।

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