*जिला अस्पताल का कार्डियोलॉजी विभाग बना शोपीस*


*अयोध्या*-जिले के जिला अस्पताल में आए हृदय के मरीज राम भरोसे रहते हैं। हृदय के मरीज अस्पताल आए तो इलाज तो मिलेगा नहीं, बल्कि कागजी खानापूर्ति की ही व्यवस्था है। जनपद के जिला अस्पताल में इस समय हृदय रोगियों के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। अस्तपाल में कार्डियोलॉजिस्ट तो दूर फिजिशियन भी तैनात नहीं हैं।
      यदि कोई हृदय का मरीज अस्पताल आता है तो इलाज तो मिलेगा नहीं। बल्कि कागजी प्रक्रिया पूर्ण करने के चक्कर में गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। कारण है कि यहां बनी ह्रदय रोग यूनिट शोपीस बनकर रह गई है। यहां न तो विशेषज्ञ की तैनाती है न ही पर्याप्त सुविधाएं हैं। समस्या से शासन को कई बार अवगत भी कराया जा चुका है, लेकिन निदान नहीं हो सका। बदलते रहन-सहन और खानपान से लोग तेजी से ह्रदय रोग की चपेट में आ रहे हैं।
       मुख्यालय पर संचालित 212 बेड के जिला अस्पताल सहित किसी भी अस्पताल में ह्रदय रोग का इलाज नहीं है। जिला अस्पताल में ह्रदय रोग यूनिट बनी तो है, ऑक्सीजन प्लांट भी लगाए गए हैं। सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम भी दुरुस्त कराया गया है, लेकिन डॉक्टर का अभाव है। लंबे समय से यहां एक भी ह्रदय रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं है। तैनात एक फिजिशियन का स्थानांतरण होने के बाद बची सेवाएं भी बाधित हैं।
       डॉक्टर की तैनाती न होने व मरीजों की अनुपलब्धता से कार्डियक यूनिट का वार्ड अक्सर सन्नाटे में रहता है। यहां ह्रदय रोग के इलाज के नाम पर सिर्फ ईसीजी की सुविधा है। इसके अलावा डॉ सीबीएन त्रिपाठी का कहना है कि अस्पताल में कार्डियक यूनिट में सभी सुविधा है, लेकिन कार्डियोलॉजिस्ट की अभी तैनाती नहीं है। ईसीजी टेक्रीशियन व फिजिशियन भी नहीं हैं। इसलिए ह्रदय रोग से संबंधित मामलों को हायर सेंटर रेफर करना पड़ता है। इससे शासन को अवगत कराया जा चुका है।

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