देश के गरीब जरूरतमंद लोगों के स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद कल्याणकारी है। हालांकि यह सरकारी योजना अव्यवस्था की भेंट चढ़ रही है। अस्पतालों का बजट जारी न होने से आयुष्मान कार्ड धारकों को परेशानी हो रही है। ऐसा इसलिए कि अस्पताल संचालक अब कार्ड पर मुफ्त इलाज से इन्कार कर दे रहे हैं प्रयागराज जिले में लोग आयुष्मान कार्ड लेकर भटक रहे हैं। अस्‍पताल संचालक इस कार्ड के माध्‍यम से निश्‍शुल्‍क इलाज को मना कर रहे हैं। ऐसे में आयुष्‍मान कार्ड होने के बाद भी लोगों को प्राइवेट अस्पतालों में रुपये खर्च कर इलाज कराना पड़ रहा है। वहीं स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि स्थितियां जल्द ही सुधर जाएंगी आयुष्मान भारत योजना के तहत जिले भर के 162 अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा दी गई है। एक लाभार्थी को कार्ड पर पांच लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा दी जाती है। योजना के तहत कोई भी अधिकृत अस्पताल किसी कार्ड धारकों को इलाज से मना नहीं कर सकते लेकिन प्रयागराज में वस्तुस्थिति इसके ठीक उलट है। यहां कुछ चुनिंदा अस्पताल ही ऐसे हैं जहां इलाज त्वरित मिल जाता है फिर कार्ड को अस्पताल संचालक प्रोसेस करते रहते हैं। जबकि अधिकांश अस्पतालों में लाभार्थी आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद पैसे देकर इलाज पा रहे हैं स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय (एसआरएन) मंडल का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां इलाज की सभी आवश्यक सुविधाएं हैं फिर भी आयुष्मान कार्ड धारक लाभार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि कुछ मरीजों के इलाज में जरूरत के हिसाब से चिकित्सा सामग्रियों की लोकल परचेजिंग होती है। उसमें खर्च होने वाले शासकीय बजट को आयुष्मान भारत योजना के मद से निकाला जाता है। यहां 900 से अधिक लोगों के इलाज अब तक हो चुका है। इस अस्पताल के वार्ड में भर्ती प्रतापगढ़ से आए मरीज ने बताया कि चिकित्सा सामग्रियां और दवाएं बाहर से खरीद कर लानी पड़़ रही है। आयुष्मान योजना के कार्ड का लाभ नहीं मिल रहा है आयुष्मान योजना के नोडल अधिकारी डा. आरसी पांडेय ने बताया कि 90 फीसद अस्पतालाें के बजट पास हो गए हैं। दिक्कत कुछ ही जगह हैं। बताया कि बजट फंसने की वजह अस्पतालों में डेटा फीडिंग में गलती है। कभी फोटो गलत फीड हो जाती है कभी नाम पते में गलती से बजट फंस जाता है

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