औरैया // भाग्यनगर ब्लॉक के नया पुर्वा गाँव में कृषि प्रशिक्षण के दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र परवाहा के कृषि विशेषज्ञ अंकुर क्षा ने रबी फसलों में मुख्यतः राई में एकीकृत कीट प्रबंधन के बारे में उपयोगी एवं आधुनिक तकनीक जानकारी देकर किसानो को बताया कि रबी ऋतु में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं, जिनमें से एक मुख्य खाद्य फसल राई भी हैं रबी ऋतु की तिलहनी फसलों में तिल, सरसों के अलावा भी कई मुख्य फसलें हैं, लेकिन पिछ्ले कुछ वर्षों से राई की उपज में ज्यादा बढ़ोत्तरी देखी गई है राई को सिंचित एवं असिंचित दोनों क्षेत्रों में उगाई जा सकता है कृषि विशेषज्ञ अंकुर क्षा ने बताया कि यदि किसान सही समय पर सही बीज का चयन कर अपने खेतों में जैविक विधि से बुआई करे तो कई कीटों से राई को बचा कर अधिक उत्पादन लिया जा सकता है उन्होंने किसानो को यह भी जानकारी दी कि किसान ज्यादा से ज्यादा जैविक विधि से खेती का प्रबंधन करे तो बेहेतर परिणाम देखने को मिल सकते हैं क्यों कि रासायनिक खादों के ज्यादा इस्तेमाल से खेती को 26 प्रतिशत खरपतवारों से 33 प्रतिशत रोगों से 26 प्रतिशत और पक्षियों एवं निमोटोड से लगभग 15 प्रतिशत नुकसान हो रहा है अगर हम राई का समुचित कीट प्रबंधन करें तो इसके नुकसान से बचा जा सकता है और उपज में वृद्धि की जा सकती है राई एवं सरसों की फसलों में मुख्यतः आरा मक्खी, बालदार गिड़ार, माहू, चित्रित बग आदि रोग अधिक लगता है रासायनिक कीट नियंत्रण से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाता है एवं बहुत सारे ऐसे कीट दिखने लगते हैं, जो इससे पहले कभी देखे नहीं गये यदि एकीकृत कीट नियंत्रण विधियां अपनायी जाये तो इस तरह के कुप्रभाव से बचा जा सकता है एकीकृत नियंत्रण प्रणाली के अन्तर्गत कीटनाशकों का उपयोग कम होगा जिससे कीटनाशी अवशेष द्वारा उत्पन्न खतरनाक परिणामों से बचा जा सकता है। 

ब्यूरो रिपोर्ट - जे एस यादव 

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