गंधवानी विकासखण्ड के सुदूर क्षेत्र में स्थित रानी दुर्गावती शासकीय माध्यमिक विद्यालय कोदी में लहलहाने लगे पौधे

शिक्षक की मेहनत लायी रंग
धार-एक ओर जहां अधिकांश व्यक्ति व गणमान्य जन पौधरोपण की सेल्फी लेकर भूल जाते हैं वही गंधवानी विकासखण्ड मुख्यालय  से 20 km  सुदूर रिमोट एरिया में स्तिथ रानी दुर्गावती, शासकीय माध्यमिक विद्यालय के एक मात्र शिक्षक ने पौधा रोपण से पहले,पौधों की सुरक्षा  की व्यवस्था कर, 2018 और 2019 में संजय निकुंज पानवा नर्सरी से पौधे लाकर रोपित किये ,जो आज 6 से 12 फिट ऊँचे हो गए। पौधरोपण का यह कार्य तो अधिकांश विद्यालयों,विभागों में होता हैं परंतु यहाँ के एक मात्र प्रधानपाठक व शिक्षक श्री प्रवीण आमले के प्रयासों का वर्णन इसलिए किया जा रहा हैं क्योंकि उन्होंने बाउंड्रीवाल विहीन विद्यालय में बगैर किसी शाषन /पंचायत की सुविधा के विद्यालय के चारों और काँटों व लकड़ियों से बागड़ कर सबसे पहले पौधों कि सुरक्षा की व्यवस्था की, उस के बाद पौधरोपण किया। प्रतिवर्ष दीमक व बारिश के कारण  बागड़  टूट जाती हैं जिससे से कई बार आस पास के पालतू जानवर भी कई पौधों को चट कर गए  जिससे निराश होकर भी प्रयास जारी रख पुनः पौधा रोपण कर व प्रतिवर्ष बागड़ का पुनःनवीनीकरण करते हैं। बागड़ में चारों ओर नेट की भी व्यवस्था की हैं।जिससे पौधौ को गर्मियों में तेज गर्म हवा से बचाया जा सके । लगभग 2 km दूर से बैलगाड़ी पर कांटे बुला कर लगवाये। पौधों को सिंचित करने के लिए 2018 से जनवरी 2020 तक एक मात्र हेण्डपम्प के भरोसे पौधों को पानी सिंचन किया जाता था फिर 2 बार हेण्डपम्प में सुधार कराने के बाद भी पानी नही आया और आसपास कोई वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध नही होने पर विद्यालय के करीब स्तिथ असिंचित खेत  में अन्य खेत के कुँए से 500 मीटर पाइप लाइन के माध्यम से किसान शंकर डावर से शशुल्क पानी की व्यवस्था कर रहे है। विद्यालय में एक सीमेंटेड टंकी में पानी स्टोर कर, गर्मियों के अवकाश में भी स्वयं शिक्षक जाकर व कभी विद्यालय में स्तिथ रसोईयन के सहयोग से पानी की व्यवस्था बाल्टीयो से करते हैं जिससे आज 4 नीम,3 गुलमोहर ,1 बादाम,1 करंज 3 कनेर, के पौधें पेड़ बनने की राह पर है। साथ ही 2 गुड़हल, 2 चंपा,2 बोगनबेलिया, 1 मोगरा, 1 एलोविराआदि के नन्हें पौधे भी विकसित हो रहे हैं। ग्रामीण अंचल होने से कई बार  असामाजिक तत्वों द्वारा विद्यालय बंद होने के बाद बागड़ का गेट खोलकर भी बकरियां  घुसा दी थी जिससे 1 बादाम, 1 कटहल,1 आंवला  को पूर्णतः खा गई। शिक्षक बच्चों के लिए पोषण वाटिका भी विकसित करना चाहते हैं परंतु वर्तमान में पक्की बाउंड्रीवाल व स्थाई पानी के अभाव के कारण प्रयास बाधित है। निश्चित ही दूरस्थ ग्रामीण  एरिया में विपरीत परिस्थितियों में  एकल शिक्षकीय होते हुए भी शिक्षक प्रवीण आमले जी के  प्रयास सराहनीय व प्रेरक हैं। कोरोनकाल काल मे भी इनके द्वारा मोबाईल विहीन गरीब बच्चों तक सतत मोहल्ला क्लास , स्वयं निर्मित वर्क शीट, TLM से शिक्षण को रोचक व सरल बनाया।

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