उत्तर प्रदेश/डॉ. मज़हर हुसैन साहब का नाम आज लखनऊ ही नहीं, बल्कि मुल्क भर में न्यूरोसर्जरी के मैदान में एक एहतिराम के साथ लिया जाता है। मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र की जटिल सर्जरी को अपने 50 साल से ज़्यादा तजुर्बे के साथ जिस खूबसूरती और एहतियात से अंजाम देते हैं, वह अपने-आप में एक मिसाल है। KGMU के सुनहरे दौर से लेकर मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल तक, उनका सफ़र नई तकनीकों, अहम कामयाबियों और इंसानी जान बचाने की मुहब्बत से भरा हुआ है।
लखनऊ यूनिवर्सिटी से MBBS (1975), MS (जनरल सर्जरी, 1979) और MCh (न्यूरोसर्जरी, 1983) हासिल करने के बाद, उन्होंने अपना पूरा करियर लोगों की ज़िंदगी बेहतर बनाने में लगा दिया। KGMU में वे न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर और चेयरमैन रहे, जहाँ उन्होंने न जाने कितने डॉक्टरों को तालीम दी और इस फील्ड में नए मानक क़ायम किए। बाद में सहारा हॉस्पिटल में विभागाध्यक्ष के तौर पर और अब मैक्स हॉस्पिटल, विराजखण्ड में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
एंडोस्कोपिक न्यूरोसर्जरी में उनकी महारत दुनियाभर में मानी जाती है। यह वह तकनीक है जिसमें कम चीरा लगाकर, कम दर्द और तेज़ रिकवरी के साथ सर्जरी की जाती है। इस बाबत उनके कई इंटरनेशनल रिसर्च पेपर भी छप चुके हैं। इतना ही नहीं, एंडोस्कोपिक लम्बर डिस्केक्टॉमी के लिए उन्होंने एक ख़ास उपकरण भी तैयार किया, जिसका पेटेंट उनके नाम दर्ज है—जो उनकी मेहनत और तलाश-ए-बेहतरी का सुबूत है।
भारत में पहली बार हाइपोथर्मिक कार्डियक अरेस्ट वाले मरीज पर सफल न्यूरोसर्जरी कर उन्होंने इतिहास रच दिया। इराक, बांग्लादेश और कई दूसरे मुल्कों में भी जाकर उन्होंने मरीजों का इलाज किया, और भारतीय तिब्ब का नाम बुलंद किया।
कांग्रेस ऑफ न्यूरोलॉजिकल सर्जरी (USA) के इंटरनेशनल मेंबर और न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के लाइफ मेंबर होने के साथ-साथ, डॉ. मज़हर हुसैन साहब आज भी उसी शिद्दत, उसी लगन के साथ मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं—खामोशी से, इख़लास के साथ, और पेशे-वराना कमाल के साथ।
उमेश चन्द्र तिवारी
9129813351
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